माघ मेले में स्नान का दूसरा शुभ दिन है मौनी अमावस्या

 

मौन की डूबकी

मुनि शब्द से ही मौनी शब्द की उताति हुई है। इसलिए इस दिन मौन , धारण करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा स्नान कर मौन व्रत रखा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करना चाहिए। मौनी अमावस्या के बाद तिल, तिल केलइ, तिल का तेल, आंवला, स्वर्ण और गौ दान का विशेष महत्व होता है। 


 

माघ मास की अमावस्या है और इसी 'दिन शनि देव का राशि परिवर्तन भी होने जा रहा है। शनि 11 फरवरी को करीब ढाई साल बाद अपनी राशि बदलने जा रहे हैं। इसलिए मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का और भी ज्यादा महत्व रहेगा। मकर संक्रांति के बाद माघ मेले में स्नान के लिए सबसे शुभ दिन मौनी अमावस्या का माना गया है। ये माघ मास की अमावस्या है और इसी दिन शनि देव का राशि परिवर्तन भी होने जा रहा है। शनि 11 फरवरी को करीब ढाई साल बाद अपनी राशि बदलने जा रहे हैं। इसलिए मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने का और भी ज्यादा महत्व रहेगा। मौनी अमावस्या को मौनी अमावस के नाम से भी जाना जाता है। जैसा की नाम से ही पता चलता है कि यह हिंदू धर्म में मौन रहने का दिन है। अगर पूरे दिन मौन व्रत रख पाना संभव न हो तो बहुत जरूरत पड़ने पर ही बोलें। इस पवित्र दिन में पवित्र नदी में जाकर स्नान जरूर करना चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस दिन उगते हुए सूर्य को जल दिया जाता है। इस बार मौनी अमावस्या पर एक अद्भुत संयोग भी बन रहा है। 29 साल बाद 11 फरवरी के दिन शनि देव अपनी ही राशि मकर में आ जायेंगे और अगले ढाई साल तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। आपको बता दें कि शनि बाकी ग्रहों के मुकाबले बेहद ही धीमी गति से राशि परिवर्तन करते हैं। ये एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करीब ढाई साल बाद करते हैं। इस तरह से 12 राशियों में इनके भ्रमण का चक्र 30 सालों में पूरा होता है।

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