ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र की द्वितीय पुस्तक ग्रह भाव फलकथनम् का लोकार्पण

ज्योतिषाचार्य पं. शरदचंद्र मिश्र की द्वितीय पुस्तक (ग्रह भाव फलकथनम्) का विमोचन करते प्रो. रामदेव शुक्ल, प्रो. अनंत मिश्र, प्रो. मुरली मनोहर पाठक व अन्य

गोरखपुर। तारामंडल स्थित देवकी लान मैं आहूत लोकार्पण समारोह का शुभारंभ विद्वतजन ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कियाl तदुपरांत पंडित शरद चंद्र मिश्र, डॉ. जोखन पांडेय शास्त्री, उपेंद्रनाथ शुक्ल, प्रेमचंद पाठक, शैलेंद्र राम त्रिपाठी, रविंद्र मोहन त्रिपाठी, योगेंद्र नाथ शुक्ला, ओंकार नाथ मिश्र, नूतन जी, रामकृष्ण शरण मणि त्रिपाठी ने अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत कियाl कार्यक्रम का संचालन विजय कुमार उपाध्याय ने कियाl



 गोरखपुरl ज्योतिष मर्मज्ञ आचार्य शरद चंद्र मिश्र की द्वितीय कृति ग्रह भाव फलकथनम का दीवार को लोकार्पण हुआl अध्यक्षीय संबोधन में प्रख्यात आलोचक प्रोफ़ेसर रामदेव शुक्ल ने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी जब भारत आई तो उसका एकमात्र मकसद भारत का खजाना लूटना थाl क्योंकि उस समय भारत सोने की चिड़िया के रूप में विख्यात था ऐसे में यहां के स्वर्ण पर उनकी गिद्ध दृष्टि थीl स्वर्ण लूटने में तो अंग्रेजी सफल ही हुए लेकिन भारतीयों के समक्ष एक नकली विद्या परोसा, जिसका नाम दिया प्राच्य विद्याl इस विद्या के माध्यम से मैकाले ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता को पिछड़ा करार देते हुए आधुनिकता का असभ्य आचरण परोसाl कुल मिलाकर सोने से भी बड़ी लूट बौद्धिक संपदा के रूप में किया और भारतीयों विचारों का ही गुलाम बना लियाl पंडित सरत चंद्र मिश्र विकट पुरुष हैंl सादगी, सरलता और सहजता इनकी पूंजी हैl इनके जैसे त्यागी और ज्ञानी व्यक्ति ही समाज को बौद्धिक गुलामी से मुक्ति दिला सकता हैl 

विशिष्ट वक्ता के रूप में मौजूद दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अवकाश प्राप्त आचार्य एवं अध्यक्ष प्रोफेसर अनंत मिश्र ने लोक को अर्पित पुस्तक ग्रह भाव फलकथनम की सराहना की और कहा कि सरल भाषा में लिखी गई इस पुस्तक का लाभ समाज के हर नागरिक को मिलेगाl ज्योतिष विद्या की खासियत का उल्लेख करते हुए प्रोफ़ेसर मिश्र ने कहा इस विधा में भूत, वर्तमान और भविष्य काल के तीनों आयामों को जानने और परखने की शक्ति निहित है, जो ज्ञान के अन्य किसी विधा में दुर्लभ हैl ज्योतिष विद्या से जुड़े लोग बाजारवाद के दुष्प्रभाव से मुक्त रहकर कार्य करें, समाज स्वत: उन्हें सब कुछ देगाl 

विश्वविद्यालय संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक ने ज्योतिष, वास्तु और कर्मकांड पर विस्तार से प्रकाश डाला और सिद्ध किया कि ज्योतिष विशुद्ध विज्ञान हैl दुनिया के प्रत्येक देश में इस विधा के जानकारों की मांग हैl इस विधा के दक्ष विद्यार्थी मैं भारतीय संस्कृति के साथ ही आर्थिक उन्नति की अपार संभावनाएं है l उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा नहीं वह विद्या है जिनमें विभिन्न शाखाएं हैंl इसमें साहित्य मात्र एक पार्ट है l हमारे संस्कृत के आचार्यों में वैज्ञानिक दृष्टि नहीं है, जिस कारण वह संस्कृत को विज्ञान साबित नहीं कर पाताl वेद को ज्ञान का कोष और खजाना करार देते हुए कहा कि ज्योतिष में सभी ग्रहों और चलायमान शास्त्रों का अध्ययन किया जाता हैl आचार्य शरद चंद्र मिस्र की पुस्तक ग्रह भाव फलकथनम जो संस्कृत नहीं जानते हैं, उनके लिए उपहार हैl 

 समारोह के आयोजक एवं पुस्तक के लेखक आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र ने मंचासीन विद्वतजन और सभागार में मौजूद प्रबुद्ध नागरिकों का आभार ज्ञापित कियाl संक्षिप्त संबोधन में कहा कि बाजारवाद ने ज्योतिष की विश्वसनीयता को बहुत क्षति पहुंचायाl कम समय में बिना परिश्रम के अधिकाधिक लाभ की प्रवृत्ति ठीक नहींl

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