कुंभ मेले का इतिहास 850 साल पुराना
स्वर्ग में भी कुंभ का आयोजन होता है इसलिए उस वर्ष पृथ्वी पर महाकुंभ का अयोजन होता है। महाकुंभ के लिए निर्धारित स्थान प्रयाग को माना गया है। सांस्कृतिक-आध्यात्मिक समागम में देश-दुनिया से करोड़ों श्रद्धालु संगम की तट पर डुबकी लगाने पहुंच रहें हैं। हिंदू धर्म में माघ मास को अति पुण्यशाली माह माना गया है। परंतु मौनी अमावस्या का खास महत्व है। जो चंद्र जल के परम कारक देवता तथा सभी प्राणियों के मन के स्वामी है। इसलिए इस दिन स्नान कर व्रत और पूजन करना चाहिए। यह बातें आर्चाय शरद चंद्र मिश्र ने कही। उन्होंने बताया कि यह दिन मुनियों के लिये अनंत पुण्यदायक है। इस दिन मौन रहने से पुण्य लोक, मुनि लोक की प्राप्ति होती है। आर्चाय मिश्र के अनुसार संगम तट पर माघ मेले का यह तीसरा और सबसे बड़ा स्नान है। इसके बाद अभी तीन स्नान और बाक़ी हैं जो बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और शिवरात्रि के मौके पर होंगे। माघ मेले में संगम के किनारे क़रीब एक लाख लोग कल्पवास कर रहे हैं। आर्चाय मिश्र के अनुसार अमावस्या के दिन काल विशेष रूप से प्रभावी रहता है इस तिथि के दिन चंद्र पूर्ण अस्त रहता है चंद्र जो की जीवन का पूर्ण कारक है इसीलिए इस दिन मदिरा पान, मांस, संगीत, पार्टी इत्यादि से बचना चाहिये। इस दिन सूर्य और चंद्र दो जीवन और ज्योति के परम कारक ग्रह मकर राशि में रहेंगे। एक तरह से यह चंद्र ग्रह की मकर संक्रांति है। ज्योतिष में चंद्र की हर तिथि का अलग अलग स्वामी होता है।
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