मौन स्नान से मोक्ष की प्राप्ति

 


प्रयागराज। संगम की तट पर लगे माघ मेला में मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा के बाद अभी चार शाही स्नान और बाकी हैं जो मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और शिवरात्रि के मौके पर होंगे। प्रयाग नगरी में माघ मेले का यह तीसरा और सबसे बड़ा स्नान 11 फरवरी गुरुवार को मौनी अमावस्या को किया जाएगा। इस दिन प्रयाग में एक करोड़ से उपर श्रद्धालुओं को संगम तट पर डुबकी लगाने की उमीद है। इस माघ मेले में संगम के किनारे करीब एक लाख लोग कल्पवास कर रहे हैं। कल्पवासियों के लिए गंगा के किनारे एक बड़ी टेंट कॉलोनी बसी हुई है। पंडित आसुतोष शुक्ल के अनुसार गंगा किनारे कल्पवास करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने बताया कि 84 लाख योनियां हैं। जिनमें बार-बार जन्म होता है। यह वे लोग हैं जो तकलीफों और फरेबों से भरी दुनिया से दुर रहकर मोक्ष की चाहत में कल्पवास करते हैं। जो एक कड़ी तपस्या है। उन्होंने बताया कि वैसे तो माघ मास के 30 दिन अति पुण्यकारी है परंतु मौनी अमावस्या का खास महत्व है। इस दिन सूर्य और चंद्र दो जीवन और ज्योति के परम कारक ग्रह मकर राशि में रहेंगे। वहीं मौनी अमावस्या के रेला को देखते हुए मेला प्रशासन द्वारा पूरे मेला क्षेत्र को चार जोन में बांटा गया है। हर जोन के लिए खास सुरक्षा इतजाम थे। इसके आलावा मेला एरिया में सीसीटीवी लगे हुए हैं, जिन्हें एक कंट्रोल रूम से मॉनिटर किया जा रहा है। इसके जरिये पूरे मेला एरिया पर पुलिस की नज़र बनी हुई है। हर जोन में एक-एक अस्पताल और तमाम हेल्थ कैम्प लगाय गए हैं। फायर ब्रिगड स्टशन बने हुए हैं और मोटर साइकिल से भी आग बुझाने का इंतजाम है।

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