अद्भुत संयोगों में करें स्नान-दान

 


 प्रयागराज। इस इस बार 11 मार्च तक चलने वाली संगमनगरी में माघ मेला का विशेष महत्व है। संगम की रेती पर संतो-महंतों ने आकर धुनी रमा दी है। सरकार भी दिव्य कुंभ, भव्य कुंभ के संकल्पना को साकार करने में पूरी तरह जुटी हुई है। कहा जा रहा है कि इस बार कुंभ अद्भुत संयोग लेकर आया है। ज्योतिषाचार्य नित्यानन्द त्रिपाठी के मुताबिक ज्योतिष शास्त्र की गणनाएं नौ ग्रहों और बारह राशियों पर आधारित हैं। कुंभ की अलौकिक घटना ग्रहराज सूर्य, ग्रहरानी चन्द्रमा, देवगुरु बृहस्पति और न्यायदाता शनि के योगदान का प्रतिफल है। उन्होंने बताया कि सूर्य ने कुंभ कलश को फूटने से बचाया था, चंद्रमा ने अमृत को कुंभ कलश से गिरने से रोका, गुरु ने असुरों से कुंभ के अमृत की रक्षा की तथा शनि ने जयंत पर दृष्टि रखी कि कहीं वह स्वयं ही अमृत न पी जाए। ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी अनुसार जयंत जब अमृत-कुंभ की रक्षा हेतु उसे लेकर चले, तब जयंत और अमृत कलश की रक्षा ग्रहों ने भी प्रमुख भूमिका निभाई। यह बातें पौराणिक कथाओं में भी दर्शाया गया है कि आकाशमार्ग में विचरण करने वाले ग्रह-नक्षत्रों का विशेष राशि में योग अद्भुत संयोगों का सृजन करता है। उन्होंने बताया कि कुंभ, अर्दधकुंभ की गणना देवगुरु बृहस्पति के राशि संचार एवं माघ मास की अमावस्या के दिन सूर्य, चन्द्रमा के मिलन अद्भुत संयोग है। माघ मास की अमावस्या के दिन सर्य एवं चन्द मकर राशि में तथा बहस्पति गुरु) वृश्चिक राशि में संचार करने के कारण प्रयागराज में मकर संक्राति से महाशिवरात्रि पर्व तक चलने वाली माघ मेला का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर प्रयागराज में स्नान-दानादि महिमा अनन्त गुणा बढ़ जाती है, जो संगम के अक्षय क्षेत्र में अद्भुत संयोगों में स्नान, ध्यान, जप, तप, दान करता है, वह साक्षात बहस्पति और सर्य के समान तेजस्वी होता है।

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