फगुआ के रंग को बिखेर रहे हैं युवा कलाकार

  •  राकेश श्रीवास्तव के निर्देशन में लोग सीख रहे हैं गीतों के गुर
  • पारम्परिक फगुआ कार्यशाला में उलारा, चहका, चौताल, बैसवारा, चैती फाग की धूम
  • युवा वर्ग के साथ बचपन से पचपन तक के कलाकार हैं शामिल 
  • कार्यशाला में 40 कलाकार ले रहे हैं प्रशिक्षण



गोरखपुर। दस दिवसीय चलने वाली फगुआ कार्यशाला में उलारा, चहका, चौताल, बैसवारा, चैती फाग रंग को युवा कलाकार बिखेर रहे हैं। लोकगायक राकेश श्रीवास्तव के निर्देशन में गोरखपुर के युवा कलाकार पारम्परिक गीतों के गुण की शिक्षा ले रहे हैं। इस कार्यक्रम की शुरुआत 1 मार्च को हुई है जो 10 मार्च 2021 तक चलेगी। 

संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश और शारदा संगीतालय के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे दस दिवसीय होली गीत प्रस्तुति परक कार्यशाला में गोरखपुर के युवा कलाकार पारम्परिक फगुआ के रंग में रंग रहे है। होली जैसे जैसे करीब आ रहा है फगुआ गीत परवान चढ़ रहा है। संगीत नाटक एकेडमी के सदस्य एवं लोकगायक राकेश श्रीवास्तव के निर्देशन में चल रहे इस कार्यशाला में उलारा, चहका,चौताल,बैसवारा,चैती फाग जैसे पारम्परिक होली गीतों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है ,साथ ही परम्परिक वाद्य यंत्रों का भी प्रयोग हो रहा है, राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि भोजपुरी होली के गीतों का स्वरूप इतना बिगड़ गया है कि कोई इसे परिवार के साथ सुनना नहीं चाहता, हमारी लोक पंरपरा बहुत ही समृद्ध है,होली के अनेक प्रकार के धुन है जो होली पर्व के उत्साह को बढ़ा देते है,मेरी कोशिश ही कि युवा पीढ़ी अपने लोक संस्कृति को समझे और उसे संरक्षित करें। प्रशिक्षित कलाकारो द्वारा आमन्त्रित श्रोताओं के समक्ष 14 मार्च को प्रस्तुति भी कराई जायेगी। इस कार्यशाला की सबसे बड़ी विशेषता है कि इस कार्यशाला में 40 कलाकार प्रतिभाग कर रहे है। जिसमे युवा वर्ग के साथ बचपन से पचपन उम्र के कलाकार शामिल हैं।

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