गौ माता से आहार और गीता से व्यवहार होती है शुद्ध : स्वामी श्री दत्तशरणानंद

गीता वाटिका प्रांगण में सोमवार को विश्व प्रसिद्ध गो सेवी संस्थान गोधाम महातीर्थ द्वारा आयोजित दो दिवसीय वेदलक्षणा गोप्रसाद सत्संग का आयोजन हुआ।



गोरखपुर। संत भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार एवं महाभावनिमग्न राधा बाबा की तपोभूमि गीता वाटिका के प्रांगण में सोमवार को विश्व प्रसिद्ध गो सेवी संस्थान गोधाम महातीर्थ, पथमेड़ा (राजस्थान) द्वारा आयोजित वेदलक्षणा गोप्रसाद सत्संग का आयोजन हुआ।



दो दिवसीय गोप्रसाद सत्संग सत्र के प्रथम दिवस को श्रद्धेय गोऋषि स्वामी श्री दत्तशरणानंद जी महाराज ने गो माता की संरक्षण और संवर्धन में ज्ञान की वर्षा की। व्यासपीठ से श्री दत्तशरणानंदजी महाराज ने कहा कि भगवान ने हम मनुष्यों को तीन तरह की शक्तियाँ दी हैं। पहला करने की शक्ति, दूसरा जानने की शक्ति, तीसरा मानने की शक्ति।

 करने की शक्ति सेवा करने के लिए है। जानने की शक्ति अपने को जानने के लिए है। सत्य को जानकार उसे स्वीकार करने के लिए और असत्य को जानकर उसका त्याग करने के लिए है। तीसरी शक्ति जो मानने की शक्ति है वह भगवान को अपना मानने के लिए है। इन तीनों शक्तियों का सही ढंग से प्रयोग मनुष्य तभी कर सकता है जब उसका सत्व अर्थात् अंतःकरण शुद्ध हो। अंतःकरण शुद्ध होने पर ही मस्तिष्क दिव्य विचारों को धारण कर सकता है और तभी हृदय भी दिव्य भावों को धारण करेगा।

मनुष्य जन्म पाकर मनुष्य के लिए प्राथमिक कार्य के रूप में अंतःकरण की शुद्धि है। इसके लिए आहार शुद्ध करना अत्यंत आवश्यक है। आहार शुद्धि से ही अंतःकरण शुद्ध होता है। आहार में शुद्धि तथा व्यवहार में संयम से ही मनुष्य का कल्याण होता है।

आहार में शुद्धि गौ माता से मिलती है और व्यवहार में शुद्धि गीता से प्राप्त होती है। गाय बिना गति नहीं और गीता बिना मति नहीं । गौमाता के रोम - रोम से सतोगुण उत्पन्न होता है । गोमय ( गोबर ) से धरती, गोमूत्र से जल तथा गाय के रंभाने से आकाश तत्व की शुद्धि होती है । गौमाता भगवान की भी भगवान हैं । गौमाता से संपूर्ण सृष्टि का कल्याण होता है।

कार्यक्रम में उमेश कुमार सिंहानिया, रसेन्दु फोगला, मनमोहन जाजोदिया, नवीन रूँगटा, कनकहरि अग्रवाल आदि महानुभावों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही ।

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