कोविड-19 प्रोटोकॉल के साथ मना प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस

महिलाओं को अंतरा इंजेक्शन की सुविधा के साथ गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी दी गयी

जिले के 43 स्वास्थ्य इकाइयों पर मॉस्क लगा कर पहुंचीं गर्भवती

जिला स्तरीय अधिकारियों की 18 सदस्यीय टीम ने किया पर्यवेक्षण



गोरखपुर। कोविड के बढ़ते मामलों के बीच नये वित्तीय वर्ष के प्रथम प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) दिवस पर कोविड-19 प्रोटोकॉल का कड़ाई से पालन कराया गया। पहली बार इस अभियान के साथ मेगा अंतरा दिवस का भी आयोजन हुआ जिसमें महिलाओं को अंतरा इंजेक्शन की सुविधा देने के साथ-साथ अन्य गर्भनिरोधक साधनों की भी जानकारी दी गयी। आयोजन सभी 43 स्वास्थ्य इकाइयों पर हुआ और आशा कार्यकर्ताओं की मदद से गर्भवती और महिलाएं मॉस्क लगा कर आयोजन का हिस्सा बनीं। अभियान का पर्यवेक्षण जिला स्तरीय अधिकारियों की 18 सदस्यीय टीम ने किया। अभियान में उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) और यूनीसेफ ने भी सहयोग दिया।

शहर से सटे चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर हुए आयोजन में महिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. सविता ने गर्भवती को न केवल जांच की सुविधा प्रदान की बल्कि उन्हें अंतरा इंजेक्शन के बारे में भी जानकारी दी। स्टॉफ नर्स पूनम ने बताया कि प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. धनंजय कुशवाहा और ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर गगन चतुर्वेदी के दिशा-निर्देशन में अभियान का शुभारंभ हुआ और प्रत्येक महिला के हाथों को स्वच्छ कराने के बाद प्रतिभाग कराया गया। डॉ. सविता ने बताया कि ओपीडी के दौरान भी गर्भनिरोधक साधनों के बारे में जानकारी दी जाती है। शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार कोविड नियमों का कड़ाई से पालन करवाते हुए शुक्रवार को सेवा दी गयी।

चरगांवा पीएचसी पहुंचीं लाभार्थी निशा (30) ने बताया कि उन्हें आशा कार्यकर्ता सोनी सिंह के माध्यम से आयोजन की जानकारी हुई थी। उनका पहला बच्चा भी इसी पीएचसी पर हुआ था और उस समय भी उन्होंने प्रसव पूर्व जांच की सुविधा यहीं से प्राप्त की थी। इस बार भी उनकी जांच की गयी है और दवाएं निःशुल्क दी गयीं। वह इस अभियान में मिलने वाली सुविधाओं से सतुष्ट हैं।


इन लोगों ने किया सहयोगात्मक पर्यवेक्षण

एसीएमओ आरसीएच डॉ. नंद कुमार, एसीएमओ डॉ. एनके पांडेय, डॉ. एके चौधरी, डॉ. एसएन त्रिपाठी, डॉ. गणेश कुमार, डॉ. एएन प्रसाद, डिप्टी सीएमओ डॉ. एके सिंह, डॉ. डीके सिंह, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से डॉ. मुस्तफा खान, डॉ. अर्चना, पंकज आनंद, रिपुंजय पांडेय, सूर्य प्रकाश, सुरेश चौहान, सहयोगी संस्थाओं से विनोद कुमार मिश्रा, विजेंद्र चौबे, गुलजार और नीलम यादव ने अभियान का सहयोगात्मक पर्यवेक्षण किया।


कोविड प्रोटोकॉल पर जोर

जिला कार्यक्रम प्रबंधक (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) पंकज आनंद ने बताया कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने इस बार के आयोजन के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किया था। दो गज दूरी, मॉस्क जरूरी, हाथों की स्वच्छता और एक बार में एक गर्भवती के काउंसिलिंग के नियमों का कड़ाई से पालन करवाया गया। सभी स्वास्थ्य इकाइयों से ऐसी फोटोग्रॉफ्स भी मांगी गयी थीं जिनके जरिये कोविड प्रोटोकॉल के पालन की जानकारी सुनिश्चित हो सके। उन्होंने बताया कि जनवरी में 743 महिलाओं ने अंतरा इंजेक्शन की डोज ली थी जिन्हें प्रेरित कर रिवाइज डोज के लिए स्वास्थ इकाई आने को कहा गया और नये लाभार्थियों को भी डोज दिया गया। अंतरा केयरलाइन नंबर 18001033044 के बारे में भी लाभार्थियों को जानकारी दी गयी। चिन्हित की गयीं एचआरपी के मदर चाइल्ड कार्ड (एमसीपी कार्ड) पर लाल रंग की मोहर भी लगायी गयी।


82 एचआरपी वाली महिलाएं चिन्हित

मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता सूर्य प्रकाश ने बताया कि 2640 गर्भवती शुक्रवार को अभियान में शामिल हुईं जिनकी जांच के बाद 82 एचआरपी वाली महिलाएं चिन्हित हुईं। जिले की 350 महिला लाभार्थियों ने अंतरा इंजेक्शन की सुविधा प्राप्त की। जिले में इस अभियान के तहत मार्च  तक 69922 गर्भवती को सुविधा मिल चुकी है जिनमें से 4487 एचआरपी वाली महिलाएं चिन्हित हुईं हैं।


निशुल्क हुईं यह जांचें

ब्लड टेस्ट

यूरीन टेस्ट

ब्लड प्रेशर

हीमोग्लोबिन

अल्ट्रासाउंड


उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) में खतरे के लक्षण

योनि से स्राव

योनि से रक्तस्राव

भ्रूण का कम हिलना या न हिलना

तेज बुखार

त्वचा का पीलापन

हाथ, पैरों या चेहरे पर सूजन

दौरे पड़ना

उच्च रक्तचाप

तेज सिरदर्द या धुंधला दिखना


*एचआरपी के लिए उपयोगी है दिवस

उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) वाली महिलाओं को अभियान के दिन चिन्हित कर उनके प्रसव का समुचित प्रबंधन किया जाता है जिससे जच्चा-बच्चा सुरक्षित रहें। कोविड-19 के बीच बड़ी ही सावधानी के साथ अभियान का संचालन किया गया। पहली बार इस दिवस पर अंतरा इंजेक्शन की सुविधा भी दी गयी और परिवार नियोजन के साधनों के बारे में जागरूक किया गया।


डॉ.  सुधाकर पांडेय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी

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