कोरोना कहर के बीच राहत : यूपी के 47 जिलों में पीएम केयर्स फंड से लगेगा ऑक्सीजन प्लांट

 

लखनऊ। यूपी के 47 जिलों में प्रधानमंत्री केयर्स फंड से चिकित्सीय ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे। इसके लिए बजट आवंटन की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है। प्रधानमंत्री के निर्देश पर इस संयंत्रों को जल्द शुरू कर दिया जाएगा। इन संयंत्रों से जिला स्तर पर ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने में काफी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर इसके लिए प्रधानमंत्री का आभार जताया है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रधानमंत्री द्वारा ‘पीसम-केयर्स फंड’ से देश भर के जिला मुख्यालयों में सरकारी अस्पतालों में 551 पीएसए ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की स्थापना का किया गया फैसला अभिनंदनीय है। इनकी स्थापना से पूरे देश में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी। पीएम केयर्स फंड ने इस साल की शुरुआत में देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों पर अतिरिक्त 162 डेडिकेटेड प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (पीएसए) मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र लगाने के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। उतर प्रदेश में कुल 47 और उतराखंड में 7 जिलों में चिकित्सकीय आक्सीजन के इन संयंत्रो को लगाया जाएगा।


यूपी के इन जिलों में लगेगा प्लांट

गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी, आगरा, अलीगढ़, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बांदा, बाराबंकी, बरेली, बस्ती, बदायूं, बुलंदशहर, देवरिया, इटावा, अयोध्या, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, हरदोई, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर नगर, खीरी, ललितपुर, मथुरा, मेरठ, मिर्जापुर, मुरादाबाद, मुफ्फरनगर, पीलीभीत, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, शाहजहांपुर, सीतापुर, सुल्तानपुर व उन्नाव

उतराखंड के इन जिलों में लगेंगे

अल्मोड़ा, देहरादून, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, उधम सिंह नगर और उतर काशी

क्या होगा फायदा

जिला मुख्यालयों के सरकारी अस्पतालों में पीएसए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत करना है। इससे प्रत्येक अस्पतालों में कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन की सुविधा बनी रहेगी। इस तरह से अपने स्तर पर ऑक्सीजन उत्पादन सुविधा से इन अस्पतालों और जिले की दिन-प्रतिदिन की मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरतें पूरी हो सकेंगी। इसके अलावा, तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (एलएमओ) कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन के ‘टॉप अप’ के रूप में काम करेगा। इस तरह की प्रणाली यह सुनिश्चित कर सकेगी कि जिले के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक व्यवधान न उत्पन्न हो सके और कोरोना मरीजों व अन्य जरूरतमंद मरीजों के लिए निर्बाध रूप से पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सके।

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