हरिद्वार : आखिरी शाही स्नान के बाद महाकुंभ का हुआ अनौपचारिक समापन

 जानिए कुंभ की 10 खास बातें

हरिद्वार। अंतिम शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़ों के 1600 संतों ने कोविड महामारी के अंत और विश्व कल्याण की कामना के साथ शाही स्नान किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के बाद महाकुंभ में चैत्र पूर्णिमा का अंतिम शाही स्नान प्रतीकात्मक रूप से संपन्न हुआ। इसके साथ ही कुंभ का अनौपचारिक रूप से समापन हो गया है। अंतिम शाही स्नान पर सभी 13 अखाड़ों के 1600 संतों ने कोविड महामारी के अंत और विश्व कल्याण की कामना के साथ शाही स्नान किया। देश के विभिन्न राज्यों में कोविड कर्फ्यू और महामारी के डर का असर शाही स्नान पर भी साफ देखने को मिला। शाम तक करीब 25 हजार श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। इसमें अधिकांश स्थानीय श्रद्धालु ही शामिल रहे। वहीं, शाही स्नान संपन्न होते ही जिला प्रशासन ने हरिद्वार में तीन मई तक के लिए कोविड कर्फ्यू लागू कर दिया है। अधिकारिक रूप से तो महाकुंभ 30 अप्रैल को संपन्न होगा, लेकिन अखाड़ों के महाकुंभ का समापन अंतिम शाही स्नान के साथ हो चुका है। सभी संन्यासी और बैरागी अखाड़ों के संतों ने कोविड नियमों का पालन किया। अधिकांश संत मास्क पहने हुए थे। पूजा-अर्चना और शाही स्नान के दौरान भी शारीरिक दूरी का पालन किया गया। संतों ने स्नान में अधिक समय भी नहीं लगाया। इससे अखाड़ों के स्नान की व्यवस्थाएं सुचारु रूप से चलती रही। शाही स्नानों में महाशिवारात्रि पर 32 लाख, सोमवती अमावस्या पर 35 लाख, मेष संक्रांति पर 13,50 लाख और चैत्र पूर्णिमा पर 25,103 हजार स्नानार्थियों ने स्नान किया।

-पहली बार कोविड महामारी के चलते हरिद्वार में एक माह के कुंभ का आयोजन हुआ।

-151 आचार्यों के साथ शंखनाद और मंत्रोचारण से इस बार कुंभ का आरंभ हुआ। इस बार महामंडलेश्वर नगर का नहीं बसाया गया।

-हरिद्वार में संन्यासी अखाड़ों ने आश्रम परिसर और अपनी भूमि पर शिविर लगाए।

शाही स्नान करते लोग

-महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए अमरनाथ यात्रा की तर्ज पर रजिस्ट्रेशन और जांच की व्यवस्था लागू की गई।

-हरिद्वार महाकुंभ में राजसी ठाठ बाट के साथ पहली बार किन्नर अखाड़े की पेशवाई निकली।

-अखाड़ों की सभी पेशवाईओं में उत्तराखंड की लोक संस्कृति को शामिल किया गया।

-10 दिनों के भीतर बैरागी कैंप अखाड़ों के शिविर और चंडी टापू पर शंकराचार्य नगर के भूमि आवंटन और अवस्थापना कार्य किए गए।

-पेंट माई सिटी और फसाद लाइटों से शहर और पुलों को आध्यात्मिक रंग दिया गया।

-कोरोना संक्रमण के कारण महाकुंभ का अंतिम स्नान प्रतीकात्मक रूप से संपन्न हुआ।

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