राम की कृपा से ही होगा करोना का समूल विनाश

 रामनवमी व्रत -हवन 21 अप्रैल और विसर्जन 22 अप्रैल को


आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र,

इस समय करोना के प्रकोप से हम सब भयाक्रान्त है। इस महामारी ने अपनी पूर्ण पैठ बना ली है। आज से करीब सत्तर वर्षो से पूर्व इस तरह प्लेग जैसी बिमारियों का समागम होता रहा है,परन्तु काल के अन्तराल मे हमने उस पर विजय प्राप्त कर ली।इसी प्रकार हम सब भगवान राम के अनुग्रह से औषधियों के अन्वेषण से शिघ्रातिशिघ्र इस महामारी पर विजय प्राप्त कर लेंगे।21 अप्रैल दिन बुधवार को चैत्र रामनवमी का पर्व है।इस दिन सूर्योदय 5 बजकर 38 मिनट पर और नवमी तिथि का मान सायं 6 बजकर 59 मिनट तक है।इस दिन नवरात्रि का हवन प्रातः काल से सायंकाल तक किया जा सकता है।

इस नवरात्र मे शक्ति और शक्तिधर दोनो की उपासना की जाती है।रामनवमी भगवान राम के जन्म दिवस का उत्सव भी है।यह व्रत चैत्र सुदी नवमी को होता है।इस दिन मध्याह्न व्यापिनी नवमी ली जाती है।वैसे इस वर्ष इस व्रत के सम्बन्ध मे कोई विवाद नही है परन्तु जिस वर्ष नवमी मध्याह्न मे दो दिन पड़े तो पूर्व दिन का परित्याग कर द्वितीय दिन की जाती है,क्योंकि इसमे दशमी युक्त नवमी ग्रहण की जाती है।धर्मशास्त्र के अनुसार अष्टमी युक्त नवमी कदापि नही ग्रहण की जाती है।--"नवमी चाष्टमी विद्धा त्याज्या विष्णुपरायणैः।उपोषणं नवम्यां वै जातो रामः स्वयं हरिः।।"-

रामनवमी के दिन प्रातःकाल के मध्याह्न तक व्रत करके भगवान श्रीराम की प्रतिमा अथवा चित्र की विधिपूर्वक पूजा "ऊॅ अद्य अमुक नामाहं श्रुतिस्मृति पुराणोक्त फलाप्तये श्रीरामनवमी व्रतं करिष्ये तदंगत्वेन सपरिवारस्य श्रीरामचन्द्र देवस्य यथा मिलितोपचारैः पूजनं करिष्ये।"-ऐसा संकल्प करने के बाद यथाविधि पूजन व्रत करके रात्रि मे जागरण किया जाता है।

भारतवर्ष मे सर्वोत्तम ॠतुए दो है-बसन्त और वर्षा। भगवान राम का प्राकट्य बसन्त में और श्रीकष्म का प्राकट्य वर्षा ॠतु में हुआ। बसन्त ॠतु के मधुरतम मधुमास चैत्र मास की चन्द्रिका से चमत्कृत शुक्ल पक्ष की वर्धमान कला के दिन,प्रकाशमय मध्याह्न के समय प्रकट होना,वास्तव मे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के अनूरूप है। 

इस वर्ष करोना के प्रकोप के कारण मन्दिरों मे जाने से बचे।अपने घर पर ही उपवास ,अर्चन और महोत्सव मनाएं। इस दिन के कार्य है-फलाहार ,जागरण,प्रतिमार्चन, हवन,भगवान श्रीराम का गुणगान,रामायण का पाठ,राम नाम लिखना और राम मन्त्र का जप तथा दानादिक क्रियाएँ।

नियम पूर्वक जागरण सहित श्रीरामनवमी व्रत का पालन करना चाहिए। दूसरे दिन (दशमी तिथि) प्रातःकाल श्रीराम की विधिवत पूजा करके मीठे पदार्थ का दान करें। रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम के नाम का स्मरण करने से पाप का नाश होता है,दर्शन से सब मनोरथ पूर्ण होते है,नमस्कार से पुष्टि होती है और उपवास से मगवत्पद की प्राप्ति होती है।इस वर्ष रामनवमी बुधवार को है।धर्मशास्त्र मे कहा गया है कि यदि रामनवमी सोमवार या बुधवार को हो और नवमी पुनर्वसु नक्षत्र से युक्त हो ,तो करोड़ कुल को मुक्ति देने वाली होती है।जो रामनवमी की कथा का श्रवण करता है,वह ॠद्धि-सिद्धि, बुद्धिमान, धर्मवान, कीर्तिमान और सुखी होता है।

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