अनुभव शर्मा को परिवार ने छोड़ा, मोहम्मद युनूस ने किया दाह संस्कार: मीडिया गिरोह के प्रोपेगेंडा की खुली पोल

मीडिया गिरोह का झूठ, मीडिया गिरोह ने फैलाया प्रोपगेंडा

प्रोपगेंडा फैलाने के लिए कोरोना महामारी को वामपंथियों ने एक अवसर की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। झूठ का कारोबार चलाने के लिए वह लोगों की संवेदनाओं से खेल रहे। सबसे ताजा उदाहरण कल तब देखने को मिला, जब अनुभव शर्मा का नाम लेकर एक तस्वीर वायरल हुई और दावा कर दिया गया कि उनका दाह संस्कार मोहम्मद यूनुस ने किया है। 

इस पोस्ट को तमाम लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे

इस तस्वीर को रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, मोहम्मद जुबेर समेत कई मीडिया गिरोह के लोगों ने जमकर शेयर किया। अभिसार शर्मा के ट्वीट पर इसे 27000 शेयर मिले हैं। इस तस्वीर को शेयर करके ट्विटर पर बताया गया कि यह मुजफ्फरनगर की है। अनुभव कोविड से ग्रसित थे। ऐसे में उनके परिवार के लोग भी जब दाह संस्कार को आगे नहीं आए, तब मोहम्मद यूनुस ने उनका अंतिम संस्कार किया। इस तस्वीर को आधार बनाकर संदेश दिया गया कि धर्म की राजनीति करने वालों को कोरोना महंगा पड़ रहा है।

अब इस तस्वीर की सच्चाई क्या है? यह स्वराज्य की पत्रकार स्वाति गोयल ने बताया है। गोयल ने खबर को फर्जी बताते हुए कहा कि उन्होंने इस संबंध में अनुभव के परिवार से बात की। अनुभव के भाई शरद ने उनसे कहा कि उन्हें हँसी का पात्र बना दिया गया है। इस वायरल पोस्ट से वह लोग बहुत आहत हैं। अनुभव के भाई ने कहा कि उनके भाई की कोरोना से मृत्यु नहीं हुई। किसी ने झूठ प्रकाशित करने से पहले परिवार से सच जानने का प्रयास नहीं किया।

पत्रकार आगे बताती हैं कि कोई परिवार जिसने अपना जवान बेटा खोया हो, उसके साथ आप सबसे बुरा क्या कर सकते हैं? फर्जी न्यूज फैला दीजिए कि उसके परिवार ने उसका दाह संस्कार नहीं किया। जो पोस्ट वायरल है, उसके अनुसार मो यूनुस ने अनुभव का अंतिम संस्कार किया। वो बिलकुल झूठ है।

स्वराज्य की रिपोर्ट के अनुसार, शरद ने कहा, “मैंने अपने भाई का अपने हाथ से अंतिम संस्कार किया। मेरे समुदाय और मेरे घर के लोग वहाँ मौजूद थे।” उनके मुताबिक, “यूनुस फैमिली बिजनेस में ड्राइवर के तौर पर काम करते हैं और अनुभव के दोस्त भी थे, लेकिन अनुभव का दाह संस्कार सिर्फ़ मैंने ही किया है। अमर उजाला की रिपोर्ट फेक है, इसमें दिए गए बयान का सोर्स भगवान जाने कौन है। किसी ने न हमसे बात की, न यूनुस से।”

27 अप्रैल को प्रकाशित हुई अमर उजाला में खबर

शरद ने ये भी कहा, “तस्वीर में आग पकड़ाने के लिए युनूस ‘राल (एक तरह का पाउडर)’ डालता दिख रहा है… उससे पहले, हमारे पंडितजी ने भी 5 किलो राल डाला लेकिन किसी ने उनकी तस्वीर नहीं शेयर की।” शरद के अनुसार, “वहाँ खड़ा हर व्यक्ति एकजुटता दिखा रहा था। उससे कोई समस्या नहीं है। लेकिन सच यही है कि मैंने अपने भाई का अंतिम संस्कार किया।”

अनुभव शर्मा को क्या हुआ था?

शरद खुद भी एक रिपोर्टर हैं। वह ऑन ड्यूटी नाम की मैग्जीन चलाते हैं। इस संबंध में वह अपने फेसबुक और मैग्जीन पर इस पर लिखने वाले थे, लेकिन वह व्यस्त रहे। इस बीच किसी ने उनसे इस संबंध में सच्चाई जानने के लिए संपर्क नहीं किया। उन्होंने बताया कि उनके भाई को 4-5 दिन से बाजुओं में दर्द था। डॉक्टरों ने कहा कि सर्वाइकल था। वह पूछते हैं, “अगर मेरे भाई को कोरोना होता तो क्या प्रशासन इस प्रकार दाह संस्कार करने की अनुमति देता?” तस्वीर वायरल होने पर उन्होंने कहा, “वह कोई तस्वीर खींचने वाला मौका नहीं था। हमें नहीं पता किसने यूनुस की तस्वीर खींची। लेकिन मुझे मालूम है जिसने फोटो ली, उसने मेरी और मेरे परिवार की भी ली होगी।”


पिछले साल फैली फेक न्यूज

कोरोना महामारी के समय पहली बार ऐसा झूठ फैलाने की कोशिश नहीं हुई। पिछले साल भी उन कहानियों को ढूँढकर शेयर करने का काम हुआ, जहाँ हिंदुओं के दाह संस्कार दूसरे मजहब के लोगों ने किए हों। इसी क्रम में तेलंगाना के एक परिवार के बारे में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (TOI) में फेक न्यूज़ छपी कि वहाँ एक हिन्दू की मौत होने के बाद दूसरे मजहब के लोगों ने मिल कर उसे कन्धा दिया और उसके अंतिम संस्कार की भी व्यवस्था की।

हेडिंग में लिखा गया कि समुदाय विशेष के 5 लोगों ने मिल कर एक हिन्दू की लाश को कंधा दिया और उसका अंतिम संस्कार किया। मृतक पेशे से ऑटो ड्राइवर था, जिसकी मौत टीबी के कारण हुई थी। अख़बार में यहाँ तक दावा किया गया कि दूसरे मजहब वालों ने पीड़ित परिवार और अंतिम संस्कार में भाग लेने आए सम्बन्धियों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की।

लेकिन, सच्चाई पता की गई तो मालूम हुआ कि पीड़ित परिवार TOI की खबर सुनने के बाद सदमें मे था। मृतक के भाई का कहना था कि समुदाय विशेष की वाहवाही के लिए ये सब प्रपंच रचा गया। वहीं मृतक के बेटे ने बताया था कि 5 लोगों ने उनके पिता के दोस्त होने की बात कह के अर्थी को कंधा दिया और इसका फोटो पत्रकारों को दे दिया।

इसके अलावा एक खबर अगस्त 2020 में वायरल हुई थी। वायरल तस्वीर में मुस्लिम भीड़ किसी अर्थी को कांधा देती दिख रही थी। तस्वीर को शेयर कर कहा गया कि ये लोग तबलीगी जमात के हैं जिन्होंने अपने मजहबी कार्य को छोड़ कर हिंदू डॉक्टर का दाह संस्कार करवाया, जो कोरोना संक्रमित थे। हालाँकि पड़ताल में पता चला कि डॉ की मृत्यु कोरोना से नहीं हुई थी। सारा प्रोपगेंडा जमातियों की छवि निर्माण के लिए थे।

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