शक्ति का पांचवां रूप स्कंदमाता की पूजा

देवी स्कंदमाता की पूजा से मिलता है, संतान सुख एवं संतान दीर्घायु होता है।



नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं।

मान्यता है कि स्कंदमाता की सच्चे मन से पूजा करने से माता के भक्तों को आरोग्य, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है और साधकों की सभी इच्छाएं अवश्य ही पूरी होती हैं। माता की पूजा से भक्तों को परम शांति और सुख की प्राप्ति है। ऐसी मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से भगवान कार्तिकेय के बाल रूप की पूजा भी अपने आप ही हो जाती है। ऐसे में साधकों को माता की पूजा में विशेष ध्यान देना चाहिए।

स्कंदमाता को सूर्यमण्डल की अधिष्ठात्री देवी कहते हैं, जिसके चलते माता की पूजा करने वाला आलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है। अगर किसी को संतान प्राप्ति की चाह हो, तो उसे भी स्कंदमाता की पूजा अवश्य करनी चाहिए। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं और इनकी पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।


-पं देवेन्द्र प्रताप मिश्र

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