भय प्रकट कृपाला, दीन दयाला, कौसल्या हितकारी...


गोरखपुर। भारतीय विद्वत महासंघ के महामंत्री ज्योतिषाचार्य पं. बृजेश पाण्डेय  के अनुसार चैत्र नवरात्रि का समापन के साथ ही श्री रामनवमी 21 अप्रैल को ही मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रामनवमी के दिन ही भगवान राम ने राजा दशरथ के घर जन्म लिया था। रामनवमी के दिन भगवान श्रीराम की पूजा करने के साथ हवन भी किया जाता है। कहते हैं कि रामनवमी के दिन हवन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार श्री रामनवमी पर हवन का शुभ मुहूर्त आज 21 अप्रैल को दिन भर रहेगा।पूजा मुहूर्त सुबह से लेकर शाम तक रहेगा। पं बृजेश ने बतााया कि  
 कन्या एवंं बटुक को मिठा भोजन करावें तथा 22 अप्रैल को पारण करें। प्रथम दिन एवं अष्टमी व्रत रखने वाले भक्त गण 21अप्रैल को हवन करने के बाद पारण करें। रामनवमी पर हवन सामग्री में नीम, पंचमेवा, जटा वाला नारियल, गोला, जौ, आम की लकड़ी, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलेठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, आदि को शामिल करना चाहिए। हवन विधि मे सर्वप्रथम श्रीराम नवमी के दिन व्रती को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद हवन के लिए साफ-सुथरे स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करना चाहिए। अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवताओं का आवाहन करें। अब हवन कुंड में आम की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति डालें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए। हवन समाप्त होने के बाद भगवान राम और माता सीता की आरती उतारनी चाहिए।

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