संकल्प में आनन्द नामक संवत्सर का होगा शुभारम्भ

वासंतिक नवरात्रि 13 अप्रैल से प्रारम्भ, संकल्प में आनन्द नामक संवत्सर का होगा शुभारम्भ

इस वर्ष राजा मंगल तथा मंत्री भी मंगल ही है : पं. बृजेश पाण्डेय





गोरखपुर। भारतीय विद्वत महासंघ के महामंत्री एवं भारतीय युवा जनकल्याण समिति के संस्थापक संरक्षक पण्डित बृजेश पाण्डेय ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 13 अप्रैल दिन मंगलवार को नव संवत्सर तथा संवत् 2078 शाके 1943 आनन्द नामक संवत्सर का शुभारम्भ हो जाएगा।
इस वर्ष राजा मंगल तथा मंत्री भी मंगल ही है, राजा एवं मंत्री एक होने से सत्ता पक्ष में आंतरिक समरसता बनी रहेगी,जगलग्न के विचार से लग्नेश गुरु व्यय भाव में मंगल राहु से चतुर्थ दशम योग बनाकर बैठा है, साथ ही मंगल राहु के साथ अंगारक योग बना रहा है।
अतः विश्व के नियम नितियो का बार बार उल्लंघन होकर पूर्वी गोलार्द्ध में प्राकृतिक आपदा से भूकंप समुद्री तुफान,कई महानगरों में उग्रवाद,जन्य जनधन हानि के संकेत है! विश्व के दक्षिण पश्चिम भूभाग में भूकंप, अग्निकांड,यान दुर्घटना या अन्य दैविक प्रकोप से हानि होगी. विश्व व्यापार में परिवर्तन होकर सुधार होने पर भी अनेक राष्ट्रो में महँगाई, बेरोजगारी की समस्याएं उभरेगीं.देश के अनेक प्रांतों में ठगी लूट चोरी आदि की घटनाएं घटित होगी।
कट्टरवादी ताकतें दक्षिणी पश्चिमी प्रांत व देश के मध्य भाग में अनेक उपद्रव कारी घटनाओं को जन्म देगी. वर्ष लग्न के विचार से लग्न के स्वामी मंगल है जो राहु के साथ है अतः शक्ति शाली देशों में अस्तित्व को लेकर बार बार संघर्ष की स्थितियां उत्पन्न होगी, सीमाओं पर सैन्य संघर्ष से जन क्षति होना संभव है! ब्रिटेन फ्रांस वेलजियम अफ्रीका अरब तथा भारतीय भूभाग पर युद्ध आदि की बादलों की छाया रहेगी।
 विश्व शेयर बाजारों में उतार चढ़ाव का दौर रहेगा विश्व के कुछ देशों में आर्थिक मंदी का दौर चलेगा धार्मिक और साम्प्रदायिक तनाव रहेगा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में उत्साह नहीं दिखाई देगा। इस वर्ष औद्योगिक विकास कार्यों में गिरावट से व्यापारी वर्ग मे चिन्ता रहेगी। विश्व के कुछ देशों में भयंकर रोग से जनजीवन अस्त व्यस्त रहेगा। मेष राशि का शुक्र चौपायो बालक बृद्धो के लिए रोग प्रद रहेगा भारत के समुद्री तटवर्ती भूभाग पर प्राकृतिक प्रकोप से हानि संभव है उत्तरी भूभाग पर्वतीय क्षेत्र में विनाशकारी आपदा आ सकती है।  आद्रा प्रवेशांग विचार से लग्नेश बुध राहु के साथ है। सूर्य के आगे शुक्र मंगल के साथ है। मंगल नीच राशिस्थ है, अतः वर्ष भर में समुद्री तटवर्ती क्षेत्रों में वायुवेग के साथ प्रलयंकारी वर्षा होगी। मैदानी क्षेत्रों में कही वर्षा तथा कही सुखे का असर होगा। पश्चिमी भागो में खंड वृष्टि होगी पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन यातायात में अवरोध हिमपात आदि से जनजीवन अस्त व्यस्त होगा!  शारदधान्य के विचार से कुंडली में लग्नेश व्यय भाव में है। बुध शुक्र पराक्रम भाव में सूर्य राहु के साथ है। अतः इस वर्ष शीतकालीन अनाजों की उपज अच्छी होगी। परंतु  सूर्य राहु के कारण खड़ी फसलों का भारी नुकसान होगा, ग्रैष्मिक धान्य के विचार से सूर्य के आगे शुक्र पीछे बुध से फसल उत्तम होगी। देशों के पूर्वोत्तर भूभाग में फसल अच्छी होगी। कही कही खड़ी फसल में प्राकृतिक आपदा से नुकसान होगा। फल सब्जियों की उपज संतोष जनक होगी।

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