अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी का 108 श्री सूक्तम पाठ एवं हवन से होगी अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति


ज्योतिषाचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र,

अक्षय तृतीया, वैशाख के महीने में चंद्र चरण का तीसरा दिन रविवार यानि की इस वर्ष 14 मई, 2021 को पड़ता है। इसके महत्व के साथ, यह रोहिणी नक्षत्र के साथ आता है, जो शास्त्रों के अनुसार एक भाग्यशाली सितारा माना जाता है।

वर्तमान समय में कोरोना की कौफनाक बीमारी से पूरा देश दहशत के जदा है। इस महामारी के साए में लोग पंख पखेड़ू को त्याग रहे हैं। सरकार भी लोगों की जिंदगियां बचाने में लगी हुई है। डॉक्टर भी दिन रात मेहनत कर संक्रमितों की दवा इलाज कर रहे हैं। पूरा देश में आज मायूसी छाई हुई है। शहर से गांव तक के सारे कारोबार बंद हैं। लोग अपने अपने घरों में कैद हो चुके हैं। सभी इस कोरोना के साए से निजात चाहते हैं, और हर तरीकों से प्रयास भी कर रहे हैं। समस्त प्रयासों के साथ अपने घर को इस संक्रमण से बचा सकते हैं। सनातन धर्म में हवन यज्ञ का बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि समस्त देवी देवता हवन पूजन से बड़ी बड़ी लड़ाईयों पर विजय प्राप्त किया है। और महिषासुर, शुंभ, निशुंभ और रावण जैसे महा विद्वान दैत्य राक्षसों को परास्त हवन पूजन से ही किया है। आज हम भी कोरोना दैत्य से छुटकारा पाने के लिए हवन पूजन क्यों नहीं कर सकते। पुराणों में  वायरस को समाप्ति के लिए हवन पूजन का वर्णन मिलता है। कहते हैं कि अपने देवी देवता को अहवाह्न कर स्वतः हवन यज्ञ कर सकते हैं। इसके लिए अक्षय तृतीया से बेहतर दिन नहीं मिल सकता है। इस लिए इस दिन आप प्रातः स्नान ध्यान से निवृत हो कर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें। इसके बाद परिवार के सभी सदस्य हवन यज्ञ करें। हवन यज्ञ कई प्रकार से कर सकते हैं। जैसे कि हवन यज्ञ आम की लकड़ी से, देशी घी से, हवन सामग्री आदि से भी किया जा सकता है।

अक्षय तृतीया को कुछ भी नया शुरू करने के लिए एक बेहद आशाजनक दिन माना जाता है। लोग घर पर विशेष प्रार्थना करते हैं और सोना, चांदी और कीमती सामान भी खरीदते हैं क्योंकि यह माना जाता है की ऐसा करने से सौभाग्य आता है। 

 पूजा के शुभ फल : 

  • दीर्घायु, स्वास्थ्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। 
  • सभी बाधाओं को दूर करने में सहायता प्राप्त होती है । 
  • व्यापार में विकास होता है। 
  • प्रगति के मार्ग प्रशस्त होते है। 

संस्कृत शब्द अक्षय का अर्थ है 'अंतहीन'। हिंदू धर्म ग्रंथों में अक्षय तृतीया के संदर्भ हैं। कुछ अच्छी पुस्तकों का मानना है कि सत युग और त्रेता युग की शुरुआत इसी दिन हुई थी।

भगवान गणेश ने इस दिन महाकाव्य 'महाभारत' की रचना शुरू की। अक्षय तृतीया के दिन, भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा को समृद्धि और धन के साथ इश्वर्य लाभ दिया। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती भी है। इस दिन पृथ्वी पर पवित्र नदी गंगा का अवतरण भी हुआ।

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