एक कोशिश ऐसी भी... सैकड़ों शवों के लिए ‘भगीरथ’ बनीं लखनऊ की वर्षा, दुनिया की प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स ने भी सराहा
लखनऊ। कोरोना संक्रमण के दौरान जब लोग घरों में कैद हैं और किसी परिचित की मृत्यु हो जाने पर भी दाह संस्कार में शामिल होने से हिचक रहे हैं, ऐसे समय में लखनऊ की एक बेटी वर्षा वर्मा ऐसे शवों का पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करा रही हैं। एक कोशिश ऐसी भी... संस्था की संस्थापक वर्षा वर्मा कोविड काल में पिछले साल से लेकर अब तक तकरीबन 700 शवों का अंतिम संस्कार करा चुकी हैं। वे पांच शव वाहनों के माध्यम से अपनी टीम के साथ इस मुश्किल वक्त में भी पूरी तल्लीनता से जुटी हैं। उनके इस जज्बे से प्रभावित होकर फोर्ब्स जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका ने अपने डिजिटल संस्करण मेें वर्षा वर्मा के कार्यों की सराहना की है।
राजधानी के गोमती नगर विस्तार में रहने वाली वर्षा वर्मा बताती हैं कि जब वे किशोरावस्था में थीं, तभी से माता-पिता से प्रभावित होकर समाज के उपेक्षित वर्ग की मदद के लिए आगे आने लगीं थीं। पिछले 6 वर्षों में उनकी समाज सेवा की इच्छा और भी ज्यादा बलवती होती गई। अपनी संस्था बनाई और इसके जरिए वे कई सालों से बेसहारा लोगों की मदद कर रही हैं। यही नहीं लावारिस शवों का अंतिम संस्कार तक कराती रहीं। वे बताती हैं कि कोरोना संक्रमण के राजधानी में फैलने के बाद जब लोग अपनों का भी अंतिम संस्कार करने से हिचकते दिखे तो उन्होंने अपने सीमित संसाधनों से ऐसे शवों का अंतिम संस्कार कराने की जिम्मेदारी उठाई।
दोस्त की मौत ने झकझोरा और शुरू की शव वाहन सुविधा
वर्षा वर्मा बताती हैं कि गत 15 अप्रैल को उनकी एक दोस्त की संक्रमण के दौरान मौत हो गई थी। अपनी दोस्त के शव को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए उन्हें वाहन ही नहीं मिल रहा था। जो मिल भी रहे थे वे 18-20 हजार रुपये मांग रहे थे। किसी तरह से उन्होंने अपनी दोस्त का अंतिम संस्कार कराया। वर्षा बताती हैं कि मुझे लगा कि जिस तरह से मैं परेशान हुई, लखनऊ में ऐसे न जाने कितने लोग शव वाहन के अभाव में परेशान हो रहे होंगे। बस, तभी एक वैन को किराए पर लेकर शव वाहन में तब्दील कर अस्पतालों के बाहर नि:शुल्क शव वाहन सेवा देने की शुरूआत कर दी।
लखनऊ में पांच शव वाहन से दे रहीं नि:शुल्क सेवा
वर्षा वर्मा बताती हैं कि धीरे-धीरे कर आज तक मैंने पांच शव वाहनों का इंतजाम कर लिया है जो किराए पर लिए गए हैं। इन वाहनों के जरिए शवों को श्मशान घाट तक पहुंचाना और उनका पूरे सम्मान केसाथ अंतिम संस्कार किया जा रहा है। ये शव वाहन फिलहाल डीआरडीओ, लोहिया अस्पताल, केजीएमयू केअलावा पूरे लखनऊ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
जूडो की खिलाड़ी और एक लेखिका भी
टीनएज बेटी की मां 42 वर्षीय वर्षा वर्मा जूडो की राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी रही हैं और एक लेखिका भी हैं। वे लड़कियों और महिलाओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी देती हैं। हाल ही में उन्होंने शवदाह गृह में नि:शुल्क पेयजल सुविधा भी शुरू की है।
अंतिम संस्कार के लिए विदेशों से आते हैं फोन
वर्षा वर्मा बताती हैं कि कोविड काल के दौरान उनके पास विदेशों से भी बहुत से लोगों ने फोन किया। ये ऐसे लोग थे जो विदेशों में रह रहे हैं और अपने माता-पिता या परिवारीजनों की मौत के बाद भारत नहीं आ पा रहे थे। ऐसे शवों का भी वर्षा वर्मा ने अंतिम संस्कार कराया। राजधानी में कई ऐसे भी लोगों के फोन आए जिनका पूरा परिवार संक्रमित था और परिजन की मौत के बाद कोई भी अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं था, ऐसे शवों का भी अंतिम संस्कार कराया गया।
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