- बुखार, कफ, बदन दर्द व दस्त लगातार हो तो कराएं कोरोना टेस्ट
- डिहाइड्रेशन के अतिरिक्त बच्चों में है कोरोना का भी है खतरा
संतकबीरनगर, 18 मई 2021। कोरोनासे बच्चे भी बीमार हो रहे हैं। ऐसे में बच्चों के अन्दर कोरोना व्यवहार को विकसित करना उनके अभिभावकों की जिम्मेदारी है। बच्चों को अगर दस्त लगातार हो रही हैतो उनका कोरोना टेस्ट जरुर कराएं। बच्चों में दस्त-बुखार का मौसम शुरू होचुका है लेकिन यह दस्त होने की वजह कोरोना भी हो सकता है। इंडियाएकेडमी आफ पिडियाट्रिक्स ने जो गाइडलाइन जारी की है उसमें पेट दर्द, उल्टीऔर दस्त कोरोना की दूसरी लहर के लक्षण बताए गए हैं।
जिला संयुक्त चिकित्सालय के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आरपी राय का कहना है कि कोविड-19 की तीसरी लहर मेंबच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आंशका ज्यादा है। इस बीच, अभिभावकों के लिए जारी इसगाइडलाइन में बताया गया है कि खांसी, हल्का कफ, बुखार और बदन दर्द कोरोनाके लक्षण हैं ही लेकिन इस वायरस की दूसरी लहर में दस्त भी कोरोना के लक्षणके तौर पर देखा गया है। इसलिए अगर बच्चे को दस्त है तो उसे हल्के में नलें। गाइडलाइन के मुताबिक अगर बच्चे को तीन दिनसे ज्यादा बुखार आ रहा है या परिवार में किसी को कोरोना हुआ है तो भीबच्चे का कोरोना टेस्ट कराना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण दस्त होनेके केस कम हैं लेकिन इसे नकारा नहीं जा सकता। अभिभावकों को सजग रहना होगा।डायरिया पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का एक बड़ा कारण है।बार-बार बच्चों को डायरिया होने पर उनमें कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है।इसलिए इससे बचाव जरूरी है। अक्सर बच्चों मेंडायरिया होने पर डिहाइड्रेशन यानी निर्जलीकरण की संभावना रहती है, जिससेगंभीरता बढ़ सकती है और बच्चे के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। आमतौर पर वायरस से होने वाले डायरिया में एंटीबायोटिक कारगर नहीं होते।
बच्चों की साफ सफाई पर दें विशेष ध्यान
बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए उनकी साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। दूषित भोज्य पदार्थो व दूषित जल के सेवन से बचाएं। हमेशा उनको उबालकर या क्लोरीनेशन किया हुआ पानी ही पिलाएं।
बच्चों में इन आदतों का करें विकास
· बच्चों को मास्क पहनने तथाशारिरिक दूरी बनाने की सीख दें।
· हमेशा साबुन से हाथ धुलने की आदत का विकास करें ।
· वर्तमान स्थिति में सामूहिक खेल ने खेलने दें।
· सार्वजनिक कार्यक्रमों में बच्चों को कदापि न ले जाएं।
· बच्चा छोटा है तो हमेशा उसपर निगरानी करें।
· छह माह से छोटे बच्चों को केवल मां का ही दूध पिलाएं
· अगर कोई असाध्य रोगी घर में है तो उससे दूर रखें।
· घर और बच्चों के खेलने के स्थान पर साफ सफाई रखें।
दस्त में करें यह इलाज
अगरबच्चे को दस्त की समस्या हो गई है तो घबराएं नहीं बल्कि किसी दवा से पहलेपानी की कमी से बचाएं। इसके लिए बच्चे को लिक्विड पदार्थ दें। जीवनरक्षकघोल यानी ओआरएस पिलाएं। हर दस्त के बाद ओआरएस देना चाहिए लेकिन ध्यान रखनाहै बहुत चीनी वाले पेय पदार्थ, शरबत या बाजार के पेय पदार्थ आदि न दें। घरपर ही नींबू पानी में नमक और चीनी मिलाकर पिलाएं। लस्सी, छाछ, नारियल पानीदे सकते हैं।
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