कोरोना से सीखी सतर्कता, अब कोई चूक स्वीकार नहीं

 

आयुष चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीके सिंह का पूरा परिवार हो गया था कोविड से बीमार

अब ड्यूटी के समय और ड्यूटी के बाद कोविड प्रोटोकॉल का और सख्ती से कर रहे हैं पालन

गोरखपुर, 18 मई 2021। सतर्कता ही कोविड से बचाव का सबसे सशक्त हथियार है। दो गज की दूरी, मॉस्क के सही ढंग से इस्तेमाल, बाहर निकलने पर सतर्कता, खांसते-छींकते समय सावधानी और हाथों की स्वच्छता आदि ऐसे हथियार हैं जो इस बीमारी से दूर रखते हैं। इनके प्रति अगर थोड़ी सी भी असावधानी हो जाए तो घर में कोविड का प्रवेश हो जाता है और कई लोग प्रभावित हो सकते हैं। यह कहना है आयुष चिकित्सा अधिकारी (पीएचसी चरगांवा) डॉ. विनय कुमार सिंह का । कोविड की पहली लहर में उनका पूरा परिवार इस बीमारी की जद में आ गया था। उनका कहना है कि रैपिड रिस्पांस टीम (आरआरटी) ड्यूटी के दौरान उन्होंने पूरी सतर्कता बरती थी, लेकिन शायद किसी न किसी चूक के कारण उनके परिवार में कोविड प्रवेश कर गया। लिहाजा इस बार वह अतिरिक्त सतर्कता बरत कर फर्ज निभा रहे हैं। वह ड्यूटी के समय और ड्यूटी के बाद भी कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हैं।

डॉ. वीके सिंह का कहना है कि पहली लहर में आरआरटी ड्यूटी कर रोजाना घर जाना होता था। अक्टूबर अंतिम सप्ताह में अचानक उनके पिताजी, उनकी और बेटे तीनों की तबीयत खराब हो गयी। जांच कराया तो तीनों लोगों को कोविड निकला। तीनों लोग होम आइसोलेट हो गये और घर पर ही इलाज करवाया। सबसे ज्यादा चिंता 84 वर्षीय पिता को लेकर थी। होम आइसोलेशन में एलोपैथिक औषधि के अलावा काढ़ा, पौष्टिक भोजन और योग-व्यायाम का सहारा लिया। नियमित ऑक्सीजन का स्तर जांचते रहे। बुखार नापते रहे। सब कुछ ठीकठाक रहा और 14 दिन में पूरा परिवार स्वस्थ हो गया। उनका मानना है कि ड्यूटी के दौरान उन्हीं का घर से बाहर जाना होता था, इसलिए उनके जरिये ही कोविड ने परिवार में प्रवेश किया और पूरे परिवार को परेशान होना पड़ा।


अब ऐसे बरत रहे हैं सतर्कता

आयुष चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि अब वह घर से सिर्फ ड्यूटी के लिए बाहर निकलते हैं। इस दौरान वह सिर पर हेडकैप, चेहरे पर डबल मॉस्क, फील्ड में जाते समय फेसशील्ड और हाथों में ग्लब्स पहनते हैं। जब घर वापस लौटते हैं तो सारे कपड़े घर से बाहर निकालते हैं और कपड़े धुलने के लिए डाल दिये जाते हैं। नहाने के बाद ही घर में कोई चीज छूते हैं। सुबह-शाम भाप लेते हैं। काढ़ा पीते हैं और पूरा परिवार काढ़े का सेवन कर रहा है। घर के भीतर अपने को आइसोलेट रखते हैं ताकि परिवार का कोई अन्य सदस्य उनके संपर्क में न आये। यद्यपि वह कोविड टीके की दोनों डोज लगवा चुके हैं, फिर भी सतर्कता का व्यवहार अपना रहे हैं। उनका कहना है कि समुदाय को भी चाहिए कि इन व्यवहारों को आत्मसात करें और अपनी बारी आने पर कोविड का टीका अवश्य लगवाएं।

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