योगी आदित्यनाथ बोले- मेरी कोई राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा नहीं, समझिए बयान के मायने

आदित्यनाथ ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा की बात को नकारा है। उन्होंने कहा कि जब वह सांसद थे तब भी उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी और आज भी नहीं है।

यूपी बीजेपी में उठापटक के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा की बात को नकारा

सीएम योगी ने कहा कि जब वह सांसद थे तब भी उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी और आज भी नहीं है

यूपी की सियासत में हलचल के पीछे योगी आदित्यनाथ की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को भी वजह माना जा रहा था 

यूपी में योगी का क्या है कोई विकल्प? इन वजहों से बीजेपी के लिए मजबूरी बने आदित्यनाथ

लखनऊ। यूपी बीजेपी में उठापटक के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा की बात को नकारा है। उन्होंने कहा कि जब वह सांसद थे तब भी उनकी कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी और आज भी नहीं है। वह खुद को बीजेपी का आम सैनिक बता रहे हैं। दरअसल पिछले दिनों यूपी की सियासत में तेज हलचल के पीछे योगी आदित्यनाथ की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा को भी वजह माना जा रहा था।


राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा की बात पर क्या बोले योगी

एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में योगी आदित्यनाथ इस सवाल पर कहा, 'जब मैं सांसद था तब मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं थी। आज भी मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है। उन्होंने कहा कि वह एक आम सैनिक हैं जो बीजेपी के विजन और विकास, सुरक्षा व समृद्धि के लिए पीएम मोदी के कैंपेन पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'राज्य सरकार के पिछले चार वर्षों की उपलब्धियां हैं, उससे ज्यादा खुशी और नहीं हो सकती।'

योगी के बयान के क्या हैं मायने?

योगी के राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा के अटकलों को खारिज करने के कई कयास लगाए जा रहे हैं। पिछले कई दिनों से बीजेपी हाई कमान और योगी के बीच जिस तकरार की चर्चा थी उस पर विराम लगाने की कोशिश की है। साथ ही योगी ने कहा है कि उनका फोकस अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर है जिसमें उन्होंने बीजेपी के दो तिहाई वोटों से जीतने का दावा किया है।

पीएम बनने की महत्वाकांक्षा रखना स्वाभाविक!

दरअसल यूपी से लेकर दिल्ली के सियासी गलियारों में चर्चा होने लगी कि सीएम योगी आदित्यनाथ और बीजेपी हाई कमान के बीच तकरार काफी बढ़ गई है। इसके पीछे वजह योगी आदित्यनाथ की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा बताई गई। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि यूपी की सियासत का असर केंद्र तक है। 80 सांसदों को दिल्ली भेजने वाले राज्य के सीएम का खुद को अगले पीएम के तौर पर देखना स्वाभाविक है।

खुद को पीएम मोदी का विकल्प मानते हैं योगी?

यह भी कहा जाने लगा कि योगी अक्सर यह जताते हैं कि बीजेपी में पीएम मोदी के बाद वह ही विकल्प हैं। यानी वह यूपी की गलियों से निकलकर सीधे प्रधानमंत्री पद की कुर्सी पर आसीन होने की लालसा रख बैठे थे। यही नहीं सोशल मीडिया और अन्य जगहों पर भी अक्सर योगी आदित्यनाथ और पीएम मोदी की तुलना दिखती है कि मोदी के बाद योगी। कई बार योगी को पीएम चेहरे की तरह पेश किया गया। अभियान चलाए गए जैसे, 'पीएम कैसा हो, योगी जी जैसा हो।'

योगी ने केंद्र बनाम यूपी पर लगाया फुलस्टॉप!

ऐसी चर्चा थी कि कैबिनेट विस्तार की कयासबाजी के पीछे केंद्रीय हाई कमान की कोशिश योगी आदित्यनाथ के प्रभाव को कम करने और उनकी कथित मनमानीपूर्ण कार्यशैली को रोकने की है। योगी की इस कथित मनमानी कार्यप्रणाली के पीछे वजह उन्हें आरएसएस का समर्थन होना भी मानी गई थी। फिलहाल तो योगी ने राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा की बात को खारिज करके एक तरह से केंद्र बनाम राज्य की लड़ाई को लेकर अटकलों पर स्टॉप लगाने की कोशिश की है। अब देखना होगा कि यूपी की सियासत का अगला मोड़ क्या होगा?

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