सियासी हलचल: क्या भाजपा बिना चेहरा घोषित किए असम की तर्ज पर लड़ेगी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव?

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर चल रही है यूपी चुनाव को लेकर भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, अमित शाह, उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधामोहन सिंह, उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, संगठन मंत्री सुनील बंसल बैठक में शामिल।

समाजवादी पार्टी के एमएलसी और अखिलेश यादव के करीबी संजय लाठर कहते हैं कि अगली सरकार तो उनकी पार्टी की ही बनेगी। लेकिन यदि 2022 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर होता है, तो हमारी ज्यादा सीटें आने की संभावना बढ़ जाएगी...



नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को कैबिनेट में फेरबदल या विस्तार की कोई खास जल्दी नहीं है। केंद्र सरकार में इसी तरह की सुगबुगाहट तेज है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट के सहयोगियों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिल रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री की भी पार्टी के नेताओं, सहयोगियों से भेंट मुलाकात का सिलसिला तेजी से चल रहा है। लेकिन इस बीच में उत्तर प्रदेश में राख के नीचे दबाई गई आग अभी भी धधक रही है। भाजपा में मुख्यमंत्री योगी के विरोधी भी मान रहे हैं कि यदि उन्हें अगला मुख्यमंत्री घोषित करके चुनाव हुआ तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बसपा छोड़कर भाजपा में गए एक बड़े नेता को भी लग रहा है कि 2022 का विधानसभा चुनाव पार्टी बिना कोई मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए लड़ सकती है। वह कहते हैं कि असम में कहां पार्टी ने कोई चेहरा घोषित किया था। समाजवादी पार्टी के एमएलसी और अखिलेश यादव के करीबी संजय लाठर कहते हैं कि अगली सरकार तो उनकी पार्टी की ही बनेगी। लेकिन यदि 2022 का विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर होता है, तो हमारी ज्यादा सीटें आने की संभावना बढ़ जाएगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी किसी काल्पनिक सवाल का उत्तर नहीं देना चाहते। वह कहते हैं कि योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। जनता इनसे काफी नाराज है और इसका भाजपा को नुकसान, कांग्रेस को फायदा होगा। वहीं बसपा प्रमुख मायावती की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं। उनके सचिवालय के सूत्र के अनुसार चुनाव को लेकर स्थिति अभी दो-तीन महीने बाद साफ होगी।


क्या कह रहे हैं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य?

विधानसभा का चेहरा बनाए जाने के सवाल पर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि इसका निर्णय तो केंद्रीय नेतृत्व लेगा। वह राज्य सरकार के उपमुख्यमंत्री हैं और इसके बारे में कैसे बोल सकते हैं। एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान भी केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि किसी भी राज्य में लीडरशिप के बारे में फैसला भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व करता है। राज्य के किसी नेता को इस बारे में बोलने का अधिकार नहीं है। जब अमित शाह भाजपा अध्यक्ष थे, तो उन्होंने गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले एक बात साफ तौर पर कही थी। अमित शाह ने कहा कि पार्टी चुनाव में चेहरा घोषित नहीं करेगी। इसका निर्णय चुनाव के बाद जीतकर आने वाले विधायक करेंगे। उत्तर प्रदेश के कई नेताओं को अभी भी इसकी उम्मीद है। उन्हें लग रहा है कि विधानसभा चुनाव 2022 तक भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रहेंगे, लेकिन चुनाव के बाद पार्टी और राज्य को नया मुख्यमंत्री चेहरा मिल सकता है। यह उम्मीद केशव प्रसाद मौर्य की टीम को भी है। उनके प्रशंसक तो यहां तक कहते हैं कि सही मायनों में केशव को 2017 में ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल जानी चाहिए थी।

पीएम मोदी के चेहरे और नड्डा, शाह, योगी, मौर्य, सिंह, बंसल मिलकर करेंगे मुकाबला

भाजपा और संघ के कार्यकर्ताओं से बात करने पर उत्तर प्रदेश को लेकर एक विश्वास दिखाई देता है। करीब चार विधायकों से भी चर्चा का सार यही है कि 2022 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र के चेहरे पर लड़ा जाएगा। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधामोहन सिंह, उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, संगठन मंत्री सुनील बंसल सब मिलकर चुनौतियों का मुकाबला करेंगे और राज्य में भाजपा की सरकार बनेगी। प्रयागराज के भाजपा के नेता और 16 जिलों में जनसंपर्क का प्रभार देखने वाले सूत्र के अनुसार आज पार्टी के पास नेता, कार्यकर्ता और चेहरे की कमी नहीं है। इनके भीतर बस एक उत्साह भरने की जरूरत है और इसे प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री शाह से अच्छा कोई नहीं कर सकता।

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