यहां हुआ था भगवान शिव का पार्वती से विवाह
यह है ब्रह्मकुंड। शिव पार्वती के विवाह में ब्रह्मा जी पुरोहित बने थे। विवाह में शामिल होने पहले ब्रह्मा जी ने जिस कुंड में स्नान किया था वह ब्रह्मकुंड कहलता है। तीर्थयात्री इस कुंड में स्नान करके ब्रह्मा जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
शिव पार्वती के विवाह में भगवान विष्णु ने देवी पार्वती के भाई की भूमिका निभाई थी। भगवान विष्णु ने उन सभी रीतियों को निभाया जो एक भाई अपनी बहन के विवाह में करता है। यह है विष्णु कुंड कहते हैं इसी कुंड में स्नान करके भगवान विष्णु ने विवाह संस्कार में भाग लिया था।
रुद्र कुंड
यह है रुद्र कुंड। भगवान शिव के विवाह में भाग लेने आए सभी देवी-देवताओं ने इसी कुंड में स्नान किया था। इन सभी कुंडों में जल का स्रोत सरस्वती कुंड को माना जाता है।
शिव पार्वती विवाह स्थल
यह है वह स्थान जहां पर भगवान शिव और पार्वती विवाह के समय बैठे। इसी स्थान पर भगवान शिव के संग ब्रह्मा जी ने भगवान शिव का विवाह करवाया था।
अखंड धुनी
यह है त्रिर्युगी नारायण मंदिर की अखंड धुनी। भगवान शिव ने इसी कुंड के चारों तरफ देवी पार्वती के संग फेरे लिए थे। आज भी इस कुंड में अग्नि को जीवित रखा गया है। मंदिर में प्रसाद रूप में लकड़िया भी चढ़ाई जाती है। श्रद्धालु इस पवित्र अग्नि कुंड की राख अपने घर ले जाते हैं। कहते हैं यह वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करता है।
त्रियुगी नारायण मंदिर
त्रियुगी नारायण मंदिर में भगवान शिव को विवाह में एक गाय मिली थी। इस स्तंभ को निशानी के तौर पर जाना जाता है इसमें गाय बंधी गई थी।
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