राजनीतिक विरोधियों पर भारी पड़ रहे हैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मंत्रिमंडल विस्तार पर भी संशय!


उत्तर प्रदेश में भाजपा में एक खेमा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज के तरीके से काफी नाराज है। इसका कहना है कि राज्य में नौकरशाही का बोलबाला है। भाजपा कार्यकर्ताओं और संगठन के लोगों की अनदेखी हो रही है...

नई दिल्ली। भाजपा ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियों का दरवाजा खोल दिया है, लेकिन पार्टी के एक धड़े को निराशा हाथ लगती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर अपना दमखम दिखाया है और माना जा रहा है कि इसके चलते राज्य सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना धूमिल नजर आ रही है। 

मुख्यमंत्री योगी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाने वाले भाजपा के कुछ विधायक, राज्य सरकार के मंत्री और नेता स्थिति देखकर फिर 'ऑफ द रिकार्ड' की शैली में आ गए हैं। वहीं केन्द्र सरकार से जनवरी महीने में इस्तीफा देकर गए विधान परिषद सदस्य अरविंद कुमार शर्मा को बड़ी कुर्सी मिलने पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं।

बताते हैं मख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अरविंद कुमार शर्मा मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री बनाने के लायक भी नहीं नजर आ रहे हैं। मौजूदा दोनों उप मुख्यमंत्रियों (दिनेश शर्मा, केशव प्रसाद मौर्य) से फिलहाल योगी को एतराज नहीं है और वह उनकी भूमिका में भी बदलाव के पक्ष में नहीं हैं। 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में योगी के तमाम शुभ चिंतक मौजूद हैं। उन्हें भी लग रहा है कि पिछले दो सप्ताह में जो कुछ हुआ, उसका तरीका थोड़ा अलग होना चाहिए था। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के लखनऊ प्रवास, पार्टी-संगठन पर चर्चा तथा प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री, भाजपा के संगठन मंत्री, उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ मंत्रणा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को विश्वास में लेना चाहिए था। इससे एक गलत संदेश गया है।



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