ब्लाक प्रमुख की कुर्सी भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। ऐसे में भाजपा ने अनूसूचित वर्ग की शिक्षित एवं पार्टी के प्रति निष्ठावान महिला कार्यकर्ता की तलाश शुरू की तो जिला पंचायत सदस्य सम्मय प्रसाद मिश्र ने 40 वर्षीय गीता देवी का नाम आगे बढ़ाया।
बहराइच। लोकतंत्र की यह खूबसूरती ही है कि पति मनरेगा मजदूर है, लेकिन पत्नी को क्षेत्र पंचायत प्रमुख का ताज मिल गया है। धनबल एवं बाहुबल के दौर में भी पयागपुर ब्लाक के क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने जिस गीतादेवी के पक्ष में जनादेश दिया है, वह पहली बार बीडीसी सदस्य निर्वाचित हुई हैं। उनका सपना क्षेत्र के अत्यंत पिछड़े इलाके में सड़कों का जाल बिछाकर लोगों के लिए विकास के रास्ते सुगम बनाना है।
बेलवा पदुम गांव निवासी गीता देवी के पति पवन कुमार मनरेगा जाबकार्ड धारक हैं। अनुसूचित जाति के पवन कुमार मजदूरी व थोड़ी सी खेती पर गुजर-बसर करते हैं। उसका घर कुछ पक्का तो कुछ फूस और टिन शेड का है। ऐसे में उनके लिए ब्लाक प्रमुख की कुर्सी का सपना देखना भी मुश्किल था, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। त्रिस्तरीय आरक्षण व्यवस्था के चलते बेलवा पदुम कमाल सतरही सीट अनुसूचित महिला के लिए आरक्षित हो गई। इंटर तक शिक्षित गीता देवी ने चुनाव लडऩे का फैसला किया। उनकी शिक्षा और विनम्रता लोगों को भी रास आई और वह निर्विरोध बीडीसी सदस्य चुन ली गईं।
संयोग से ब्लाक प्रमुख की कुर्सी भी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई। ऐसे में भाजपा ने अनूसूचित वर्ग की शिक्षित एवं पार्टी के प्रति निष्ठावान महिला कार्यकर्ता की तलाश शुरू की तो जिला पंचायत सदस्य सम्मय प्रसाद मिश्र ने 40 वर्षीय गीता देवी का नाम आगे बढ़ाया। भाजपा जिलाध्यक्ष सहित प्रदेश नेतृत्व को भी उनका नाम पसंद आ गया और पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार घोषित कर दिया।
यहां एक और उम्मीदवार कुसुमादेवी मैदान में थीं, लेकिन उन्हें मैदान से
हटाकर निर्विरोध प्रमुख बनाने में सम्मय प्रसाद के साथ ही क्षेत्रीय विधायक
सुभाष त्रिपाठी एवं पूर्व विधान परिषद सदस्य अरुणवीर ङ्क्षसह ने अहम
भूमिका निभाई। अब प्रमुख निर्वाचित गीतादेवी भाजपा के सिद्धांत सबका साथ
सबका विकास के नारे को साकार करने के लिए खुद को संकल्पबद्ध बताती हैं।
सहयोग के लिए भाजपा नेताओं का आभार जताने के साथ ही गांव में नाली-खड़ंजा
और स्कूल को प्राथमिकता देने की बात कहती हैं।
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