भगवान शिव ने श्रावण महीने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए स्वयं बताये हैं कि यह महीना उन्हे अत्यन्त प्रिय है। निष्काम भाव से किए गए कर्म के फलस्वरूप शिव अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं। इस महीने में करने योग्य जो धर्म कहे गए हैं उसके विषय में मान्यता यह है की रविवार को सूर्य का व्रत करना चाहिए। सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा का है। श्रावण माह के प्रथम सोमवार से आरंभ होकर साढ़े तीन महिने तक, अर्थात का कार्तिक मास की अमावस्या तक होने वाला संपूर्ण कामनाओं का प्रदाता रोटक नाम का व्रत है। इस महीने में मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है ।प्राय प्रत्येक तिथि को व्रत का विधान है। इस महीने में नित्य प्रति भगवान शिव का अर्चन किया जाए और महीने के अन्त में तिल, घी, पायस (खीर) इत्यादि लेकर मूल मन्त्र, गायत्री मंत्र या शिव सहस्त्रनाम से हवन करने से अतुल संपदा की प्राप्ति होती है।
इस सावन में चार सोमवार हैं। ये सोमवार अपने में अद्वितीय योगों से सम्पन्न हैं। इन सोमवारों में की गई उपासनाएं और साधनाएं विशेष फल प्रदान करने वाली होगी। इन सोमवारों मे अटूट श्रद्धा से किये गए पूजा से लक्ष्मी की प्राप्ति और घर में स्थायित्व और शांति की उपलब्धि होगी। नौकरी लगने की सम्भावना बनेगी। नौकरी में प्रमोशन के लिए सोमवार का व्रत किया जाए। इस दिन के व्रत से व्यापार वृद्धि एवं व्यापार में सफलता भी प्राप्त होगा। यदि ॠण से ग्रसित है तो ॠण भार कम हो जाता है। सोमवार व्रत करने वाले आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं। जीवन में संपन्नता प्राप्त करते हैं और वह वे प्रत्येक कार्य में वह सफल होते हैं। सोमवार के व्रत करने से आकस्मिक धन लाभ की सम्भावना बनती है। लाभ आर्थिक दृष्टि से अनुकूल बनी रहती और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते हैं। घर में स्थित पितृ-दोष का भी उपशमन होता है।
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