जागरूक महिलाओं से साकार हो रहा परिवार नियोजन का सपना

 -नसबंदी में महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ा

देवरिया, 19 जुलाई, 2021। परिवार नियोजन कार्यक्रम में निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा  है फिर भी परिवार नियोजन का सपना महिलाओं के दम पर ही पूरा हो रहा है। विभाग की तमाम कोशिशों के बावजूद नसबंदी के लिए अपेक्षित संख्या में पुरूष आगे नहीं आ रहे हैं। 

एसीएमओ आरसीएच डॉ. एस.के. चौधरी का कहना है कि अप्रैल 2020 से जून 2021 तक नसबंदी कराने में जहां पुरुषों की संख्या 12 है, वहीं इसी समयावधि में 4307 महिलाओं ने नसबंदी अपनाया है। एसीएमओ ने कहा कि विभाग की ओर से जागरूकता कार्यक्रम चलाकर  पुरूष नसबंदी का संदेश दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने नसबंदी में दिलचस्पी दिखाने के साथ ही अन्य संसाधनों को अपनाने में भी पुरुषों को पछाड़ा है। महिलाओं ने परिवार संबंधी अन्य साधनों का भी सहारा लिया है। एसीएमओ डॉ. चौधरी  ने बताया कि पुरुष नसबंदी के प्रति कम जागरूक हैं। पुरुषों में कई तरह का भ्रम भी है। इसे दूर किए जाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि नसबंदी के प्रति पुरुषों का रुझान बढ़ाया जा सके और लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।


 प्रोत्साहन राशि के बाद भी नहीं ले रहे रूचि

नसबंदी करवाने वाले पुरुष को प्रदेश सरकार तीन हजार व महिला को दो  हजार रूपये का प्रोत्साहन राशि देती है। जागरूकता के कार्यक्रम कराए जाते हैं लेकिन पुरुष वर्ग रूचि नहीं ले रहा है। 


 नसबंदी के प्रति न पालें वहम 

एसीएमओ ने पुरुषों से अपील करते हुए कहा कि पुरुषों में नसबंदी के बाद बीमारी होने, कमजोर होने का भ्रम होता है। लोग इस भ्रम से दूर रहें। पुरुष नसबंदी में कोई चीरा या टांका नहीं लगता। नसबंदी के आधा घंटे बाद व्यक्ति घर जा सकता है। नसबंदी के 48 घंटे बाद व्यक्ति सामान्य हो जाता है।

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