सादगी के मूर्ति हैं वायलिन वादक मधुसूदन
- गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर संस्कार भारती ने किया सम्मान कार्यक्रम
- देश के विभिन्न राज्यों में होने वाले रेडियो ओवर दूरदर्शन के कृषक में प्रतिभा का मनवाया लोहा
- उपाध्यक्ष सुधा मोदी ने दीर्घायु होने की कामना की
गोरखपुर। संस्कार भारती महानगर ने शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर गुरु सम्मान कार्यक्रम का आयोजन किया , जिसमें पूर्वांचल के सुप्रसिद्ध वायलिन वादक मधुसूदन जायसवाल को सम्मानित किया गया । इस मौके पर प्रांतीय संगीत संयोजिका डॉ मिथिलेश तिवारी ने कहा कि मधुसूदन सादगी के प्रतिमूर्ति है।संगीत के क्षेत्र में मेरा और उनका करीब 40 साल का साथ रहा है। वायलिन जैसे तार वादयन्त्र को बजाते समय कभी सहज नहीं दिखे ।
सम्मान कार्यक्रम तरंग स्थित वायलिन वादक के आवास पर किया गया। इसके पूर्व संस्था के महामंत्री प्रेम नाथ ने उनका परिचय व स्वागत करते हुए प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश में गुरुओं का बहुत सम्मान किया जाता है क्योंकि एक गुरु ही है जो अपने शिष्य को गलत मार्ग से हटाकर सही रास्ते पर लाता है। इसी क्रम में संस्था की मातृशक्ति संयोजिका रीना जायसवाल व महानगर उपाध्यक्ष सुधा मोदी ने आरती उतारी और उनके दीर्घायु होने की कामना। प्रान्तीय महामंत्री डॉ आशीष तिवारी, विश्व मोहन तिवारी , जितेंद्र श्रीवास्तव ने उन्हें अंगवस्त, व प्रशस्ति-पत्र भेंट किया तथा पार्षद जितेंद्र सैनी, विवेक अस्थाना, श्याम मोहन अग्रवाल व प्रवीण श्रीवास्तव ने स्मृति चिन्ह व श्रीफल देकर उन्हें सम्मानित किया। सुनिशा श्रीवास्तव ने भी उदगार व्यक्त किया ।
सम्मान से अभिभूत वायलिन वादक मधुसूदन जायसवाल ने कहा कि जीवन में गुरु का महत्व उस से ही होती है जो गुरु से मिले ज्ञान को दूसरों तक पहुंचा पाने में समर्थ होता है । उन्होंने कहा कि जिसे इस वादयंत्र को सीखना है।ल उसे सिखाने के लिए मैं तैयार हूं। इस दौरान उन्होंने वायलिन पर बंगाली व हिंदी गीत बजा कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया । आभार ज्ञापन उपाध्यक्ष सुधा मोदी ने किया। इस मौके पर प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ भारत भूषण, कला संयोजिका डॉ सुदीप्ता बी. भूषण, देव अस्थाना, श्वेता जायसवाल, राकेश , रेनू जायसवाल , मयंक जायसवाल आदि मौजूद रहे।
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