विपरीत परिस्थितयों में भी कोविड पीडि़तों की सेवा के लिए तत्पर रहे : डॉ. मोहन झा

 डाक्टर्स डे (01 जुलाई 2021) पर विशेष
- पिता की मौत के बावजूद कोविड की दूसरी लहर में संभाली सारी व्यवस्था
- आक्सीजन की फैक्ट्री से लेकर कोविड हॉस्पिटल तक जूझते रहे कठिनाइयों से

संतकबीरनगर। कोविड की दूसरी लहर के दौरान किसी भी समस्या के समाधान की जरुरत हो, किसी को इलाज की जरुरत रही हो या फिर मरीजों और उनके परिजनों के समस्याओं के निराकरण की बात रही हो। विषम परिस्थितियों में कोई अगर किसी को याद करता था तो वह थे जिले के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मोहन झा, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी कोविड पीडि़तों की सेवा में पूरा योगदान दिया।

जिले में जैसे ही कोविड वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई और वैक्सीनेशन कार्यक्रम को गति दी जा रही थी कि इसी दौरान कोविड की दूसरी लहर आ गई। प्रदेश के साथ ही जनपद में भी इसका असर पड़ा। जनपद के एकमात्र कोविड हॉस्पिटल पर कोविड मरीजों का पूरा दबाव था। उस समय जिले के तत्कालीन सीएमओ न्यायालयी प्रक्रिया के चलते जिले से बाहर थे। बाद में उनका स्थानान्तरण भी हो गया। ऐसे संकटकाल में एसीएमओं डॉ. मोहन झा ने मोर्चा संभाला और जनपद में 51 वेण्टीलेटर व आक्सीजनयुक्त बेड के साथ 300 बेड का कोविड हॉस्पिटल सीमित संसाधनों के बीच प्रारम्भ करा दिया। कोविड के दौरान ही उनके पिता की भी मौत हो गई। इसके बावजूद डॉ. मोहन झा ने हार नहीं मानी। ऑक्सीजन की फैक्ट्री से लेकर कोविड हॉस्पिटल और विभागीय व्यवस्थाओं के बीच अपने चिकित्सकों के साथ जूझते रहे। इस बीच शासन ने नए सीएमओ की तैनाती से उन्होने कुछ राहत महसूस की लेकिन तैनाती के दो दिन बाद ही उनको भी पितृशोक हुआ और एक बार फिर जिम्मेदारी डॉ. झा पर आ पड़ी। कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जिसने यह कहा हो कि उसकी नहीं सुनी गई हो। परिस्थितियों से जूझने वाले डॉ. मोहन झा को ही हर प्रशासनिक अधिकारी भी याद करता था। कोई जरुरत होती तो जिलाधिकारी दिव्या मित्तल डॉ. झा को ही याद करती थीं। निजी अस्पतालों से तालमेल बनाए रखने में भी उन्होने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

कोविड की दूसरी लहर तो समाप्त हो चुकी है, लेकिन डॉ. मोहन झा अब संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों में जुट गए हैं। अपनी टीम को प्रशिक्षित करने के साथ ही सहेजने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। पूछे जाने पर कहते हैं कि हम सभी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। आपदा के समय में हमारी भूमिका और भी बढ़ जाती है।

कोविड की पहली लहर में भी जुटे रहे सेवा में

कोविड की पहली लहर में भी डॉ. मोहन झा ने सेवा से सबका दिल जीत लिया। देश में लॉकडाउन के दूसरे दिन जब सारी व्‍यवस्‍थाओं को सुचारु रुप से सम्‍पन्‍न कराने के लिए मुख्‍यमन्‍त्री की वीडियो कांफ्रेसिंग होने वाली थी, उसी दौरान दो घण्‍टे पहले ही घर से फोन आया कि घर की जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करने वाली उनकी भाभी की दुर्घटना में मौत हो गई है। इतनी जानकारी होने के बाद वे खुद संयत हुए, अपने परिवार के लोगों को सान्‍त्‍वना दी वीडियो कान्‍फ्रेसिंग अटेण्‍ड करने के बाद उसके हिसाब से सारी व्‍यवस्‍थाएं कराई तथा जिलाधिकारी और प्रमुख सचिव स्‍वास्‍थ्‍य से अनुमति लेकर दूसरे दिन खुद 400 किमी गाड़ी चलाते हुए परिवार को लेकर अपने पैतृक निवास पहुंचे,जिसके चलते दूसरे दिन उनका दाह संस्‍कार हो पाया। दाहसंस्‍कार के पश्‍चात वे फिर आकर कोरोना पीडि़तों की सेवा में लग गए।

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