रिवरफ्रंट घोटाला : सीबीआई ने भाजपा विधायक राकेश बघेल के घर मारा छापा, घंटों खगांले गए दस्तावेज



यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा और आगरा में छापेमारी की गई है। रिवरफ्रंट घोटाले सपा सरकार में हुए जिसमें छापेमारी शुरू कर दी गई है।


गोरखपुर।
रिवरफ्रंट घोटाले में गोरखपुर शाहपुर स्थित संत कबीर नगर के विधायक राकेश सिंह बघेल के घर सीबीआई ने सोमवार को छापा डाला। भाजपा विधायक के घर सुबह 9:00 बजे ही सीबीआई की टीम रोहित कैथल वालों के नेतृत्व में पहुंच गई और दस्तावेजों को खंगाल रही है। रिवरफ्रंट का काम कराने वाली फर्मों व उनसे जुड़े लोगों के घर और दफ्तरों में छापा मारा जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर में सीबीआई की दस्तक और बीजेपी विधायक के घर रेड की सूचना पर शहर भर में हड़कंप मच गया। फिलहाल विधायक और उनके परिवार के लोग इस मामले में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब दर्जनों लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा और आगरा में छापेमारी की गई है। 

2017 में दर्ज हुई थी एफआईआर

रिवरफ्रंट घोटाले सपा सरकार में हुए जिसमें छापेमारी शुरू कर दी गई है। प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार आने पर मामले की जांच की बात कही गई थी जिसके बाद से कई अफसरों के खिलाफ अब तक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। मामले में अब फिर से छापेमारी का दौर शुरू हो चुका है। करीब 1500 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है। 

सपा शासनकाल के दौरान हुआ था घोटाला

सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान लखनऊ में हुए 1500 करोड़ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने अपनी जांच तेज कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच कर रहा है। सोमवार की सुबह सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन टीम यहां राप्तीनगर के कॉलोनी स्थित विधायक राकेश सिंह बघेल के आवास पहुंचे। उनके साथ शाहपुर थाने की पुलिस भी है। विधायक के भाई अखिलेश सिंह की रिशु कंस्ट्रक्शन कंपनी का नाम भी रिवर फ्रंट घोटाले से जुड़ा है। घोटाले में अब तक 190 से अधिक लोगों के नाम सामने आए हैं। 

जूता कांड से चर्चित हुए थे विधायक

6 मार्च 2019 को संतकबीर नगर कलेक्ट्रेट सभागार में जिला योजना समिति की बैठक शुरू हुई थी। मेंहदावल के विधायक राकेश सिंह बघेल ने बोर्ड में अपने नाम की जगह सांसद शरद त्रिपाठी का नाम होने पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि उनके विधानसभा क्षेत्र में हो रहे विकास कार्य का श्रेय उन्हें मिलना चाहिए न कि सांसद को।
इस पर पूर्व सांसद ने कहा था कि मेंहदावल उनके संसदीय क्षेत्र में शामिल है। इसलिए बोर्ड में उनका नाम होना गलत नहीं। इसपर इन दोनों में नोकझोंक हो गई थी। इसके बाद सांसद ने जूते से विधायक की पिटाई कर दी थी। तत्कालीन डीएम रवीश गुप्त, एएसपी असित कुमार श्रीवास्तव ने हस्तक्षेप कर मामले को शांत किया था। इस घटना के बाद से ही विधायक राकेश सिंह बघेल और पूर्व सांसद शरद त्रिपाठी चर्चा में आए थे।

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