गुप्त नवरात्र की साधना से समस्त वैभव की प्राप्ति


गुप्त नवरात्र 11 जुलाई से आरम्भ होकर 18 जुलाई, रविवार तक


 
ये बहुत काम लोग ही जानते होंगे कि आषाढ़ और माघ मास में पड़ने वाली नवरात्र को गुप्त क्यों कहा गया है! आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र ने बताया कि गुप्त नवरात्र मे साधक बाह्य रूप से ज्यादा प्रदर्शन न करके अपने आवास या शक्तिपीठो पर जाकर गुप्त रूप से साधनाएं करते है। पूजा में  गोपनीयता आवश्यक है। कहा जाता है कि जितना ही अन्तर्मुखी होकर पूजा सम्पन्न की जाती है, उसका फल उतना ही गुणित (कई गुना) होता है। आश्विन मास मे शारदीय और चैत्र मे बासन्तिक नवरात्र होते है। इसके अतिरिक्त आषाढ़ मास के शुक्ल प्रतिपदा और माघ के शुक्ल प्रतिपदा से गुप्त नवरात्रों का समारम्भ माना गया है। इस वर्ष आषाढ़ मास का गुप्त नवरात्र 11 जुलाई से आरम्भ होकर 18 जुलाई, रविवार तक रहेगा। वाराणसी से प्रकाशित पंचांग के अनुसार इसमें प॔चमी तिथि का विलय 14 जुलाई को होने के कारण यह नवरात्र 8 ही दिन का रहेगा।
गुप्त नवरात्रि की पूजा भी परम फलदायिनी होती है। साधक को चाहिए इस गुप्त नवरात्रि में प्रतिपदा से आरम्भ करके नौ तिथियों में फलाहार निराहार या अल्पाहार लेकर मां दुर्गा की उपासना करें। यदि संपूर्ण तिथियों में उपवास न कर सके तो केवल सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि को उपवास करें। इसके विषय में कहा गया है कि एक समय भोजन करके या केवल रात्रि में भोजन करके अथवा जो बिना मांगे मिल जाए इसी को प्राप्त कर जगत जननी भगवती दुर्गा की पूजा संपन्न की जाए। तिधि के ह्रास और वृद्धि के विषय में भविष्य पुराण का कथन है कि नवरात्र की तिथि कम अथवा अधिक हो तो भी प्रतिपदा से आरम्भ कर नवमी तिथि पर्यन्त समस्त कार्य किये जांए।

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