ईश्वर की उर्जा का स्वरूप है शक्ति

विन्ध्वासिनी पीठ के आचार्य पंडित आद्या प्रसाद तिवारी के अनुसार भारतीय जीवन को, ज्ञान बल एवं ऐश्वर्य के संतुलित विकास से ही परिपूर्ण माना जाता रहा है। जिसमें महाशक्ति की कृपा का महत्वपूर्ण स्थान है। शक्ति एवं प्रकृति ब्रह्म की साहचरी हैं। अदृश्य मानव मन को शांति प्रदान शांति प्रदान करने एवं अलौकिक उपलब्धियों में महाशक्तिकी आराधना का प्रमुख स्थान रहा है। वह आद्या शक्ति महालक्ष्मी महासरस्वती, महाकाली, गौरी, उमा, दुर्गा, शाकम्भरी, भैरवी, कात्यायनी, सिद्धिदात्री, कामरूपा आदि रूपों में पूजित रही है। परमपिता परमात्मा की सत्ता लिंग भेद रहित है। शिव और शक्ति ईश्वर के दो रूप हैं जिसे अर्धनारीश्वर रूप भी कहा गया है। गुप्त नवरात्र में ऊर्जा की अधिष्ठात्री देवी की पूजा की जाती है।
मार्कण्डेय पुराण के सप्तम सर्ग पर दुर्गा के जन्म शौर्य, वरदान आदि का उल्लेख है। यह ग्रंथ दुर्गा सप्तशती के नाम से प्रसिद्ध है। दुर्गा ने महिषासुर शुम्भ-निशुम्भ, चण्ड-मुण्ड आदि राक्षसों का संहार करने वाली देवी की महिमा इस ग्रंथ में वर्णित है। यदि साधक नियम पूर्वक गुप्त नवरात्र में विधि विधान से दुर्गा सप्तशती का पारायण करें, तो निश्चित रूप से अपूर्व शक्ति की प्राप्ति होगी और उसके सुख में भी समृद्धि का योग प्राप्त होगा।


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