श्रावणी उपाकर्म : सप्त ऋषि एवं रक्षासूत्रों का पूजन कर विद्वानों ने नवीन यज्ञोपवीत किया धारण


गोरखपुर। अखिल भारतीय विद्वत् महासभा एवं उसकी शाखा ज्योतिष यज्ञ संस्कार समीति के तत्वावधान में रविवार को गोरक्षनाथ मंदिर स्थित भीमसरोवर पर श्रावणी उपाकर्म मनाया गया। विद्वानों, पुरोहितों, यज्ञोपवीत धारियों ने सामुहिक रूप में महासंकल्प के साथ वेद मंत्रो का सस्वर उच्चारण किया। महासभा के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल ने पंचगव्य का प्राशन कराया। इसके बाद विद्वानों ने दस विधि स्नान किया। इसके बाद सप्त ऋषि का पूजन व यज्ञोपवीत आदि रक्षासूत्रों का पूजन कर, सभी विद्वानों ने नवीन यज्ञोपवीत, जनेऊ, धारण किया। संस्था के ज्योतिष यज्ञ संस्कार समीति के अध्यक्ष डॉ दिग्विजय शुक्ल ने कहा कि आज के दिन श्रावणी कर्म करने के उपरांत पुरोहित के द्वारा पूजित रक्षासूत्र बांधने से यजमान की रक्षा वर्ष पर्यन्त होती है। संस्था के उपाध्यक्ष आचार्य धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म एक अनिवार्य कर्म है, और इसे सभी को अवश्य ही करना चाहिए। कोषाध्यक्ष पं देवेन्द्र प्रताप मिश्र ने कहा कि शुद्ध शरीर व शुद्ध मन से किया गया प्रत्येक कर्म सफलता को प्राप्त करता है। संस्था के उपाध्यक्ष आचार्य अरविंद मिश्र एवं आचार्य कृष्ण कुमार मिश्र ने संस्कृत गोष्ठी का आयोजन भी किया।

जिसमें आचार्य अनिल कुमार मिश्र, आचार्य अंकित राम त्रिपाठी, आचार्य रामनाथ शुक्ल, आचार्य विभूति दूबे, पं नवनीत चतुर्वेदी, पंडित रत्नेश अवस्थी, आचार्य प्रेम नारायण तिवारी, आचार्य कीर्ति कर मिश्र, आचार्य अखिलेश त्रिपाठी, आचार्य गणेश पाण्डेय, आचार्य कृष्ण कांत त्रिपाठी, आचार्य शुशील तिवारी, पं प्रमोद दुबे, पं प्रेम नारायण तिवारी, पं सतेन्द्र पांडे, आचार्य कपिल देव त्रिपाठी, पं जयहिंद पांडेय, ज्ञान प्रकाश त्रिपाठी, आचार्य लोकनाथ त्रिपाठी, आचार्य उत्तम नारायण मिश्र, एवं आचार्य सूरज पांडे सहित अनेक विद्वानों की भूमिका रही। कार्यक्रम के अन्त में संस्था के उपाध्यक्ष आचार्य वेद प्रकाश पांडेय ने उपस्थित विद्वानों का आभार व्यक्त किया। 

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