हर्षोल्लास के साथ मना पं0 गोविन्द बल्लभ पंत जी के जयन्ती

 



आजादी का अमृत महोत्सव एवं चैरी चैरा शताब्दी समारोह की श्रृंखला के अन्तर्गत राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर (संस्कृति विभाग, उ0प्र0) द्वारा दिनांक 10 सितम्बर, 2021 को भारत रत्न पं0 गोविन्द बल्लभ पंत जी की जयन्ती मनायी गयी। इस अवसर पर पंत जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण/पुष्पांजलि सहित विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई के भी अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे। सभी अधिकारी/कर्मचारियों ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला।

  संग्रहालय के उप निदेशक, डाॅ0 मनोज कुमार गौतम ने कहा कि पं0 गोविंद बल्लभ पंत (10 सितंबर 1887-7 मार्च 1961) एक स्वतंत्रता सेनानी और आधुनिक भारत के वास्तुकारों में से एक थे। महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और वल्लभ भाई पटेल के साथ, पंत भारत की स्वतंत्रता के आंदोलन में एक प्रमुख व्यक्ति थे। वह संयुक्त प्रांत के तथा भारत सरकार के अग्रणी राजनीतिक नेताओं में से एक थे। पंत जी ने 1921 में राजनीति में प्रवेश किया और आगरा और अवध के संयुक्त प्रांतों की विधान सभा के लिए चुने गए। एक अत्यंत सक्षम वकील के रूप में जाने जाने वाले, पंत को कांग्रेस पार्टी द्वारा शुरू में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान और 1920 के दशक के मध्य में काकोरी मामले में शामिल अन्य क्रांतिकारियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया गया था। उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया। 1930 में गांधी के पहले के कार्यों से प्रेरित नमक मार्च आयोजित करने के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया और कई हफ्तों के लिए जेल में डाल दिया गया। 1933 में, उन्हें हर्ष देव बहुगुणा (चैकोट के गांधी) के साथ गिरफ्तार किया गया और तत्कालीन प्रतिबंधित प्रांतीय कांग्रेस के एक सत्र में भाग लेने के लिए सात महीने की कैद हुई। 1935 में, प्रतिबंध रद्द कर दिया गया और पंत नई विधान परिषद में शामिल हो गए। 1940 में, सत्याग्रह आंदोलन को संगठित करने में मदद करने के लिए पंत को गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया। 1942 में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया।

  पंत ने 1937 से 1939 तक वे ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रान्त अथवा यू०पी० के पहले मुख्य मन्त्री बने। इसके बाद दोबारा उन्हें यही दायित्व फिर सौंपा गया और वे 1 अप्रैल, 1946 से 15 अगस्त, 1947 तक संयुक्त प्रान्त (यू०पी०) के मुख्य मन्त्री रहे। जब भारतवर्ष का अपना संविधान बन गया और संयुक्त प्रान्त का नाम बदल कर उत्तर प्रदेश रखा गया तो फिर से तीसरी बार उन्हें ही इस पद के लिये सर्व सम्मति से उपयुक्त पाया गया। इस प्रकार स्वतन्त्र भारत के नवनामित राज्य के भी वे 26 जनवरी, 1950 से लेकर 27 दिसम्बर, 1954 तक मुख्य मन्त्री रहे। उत्तर प्रदेश में उनके विवेकपूर्ण सुधारों और स्थिर शासन ने भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य की आर्थिक स्थिति को स्थिर कर दिया।

  पंत ने 1955 से 1961 तक केंद्रीय गृह मंत्री के रूप में कार्य किया। पंत को जवाहरलाल नेहरू द्वारा 10 जनवरी 1955 को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल में गृह मंत्री नियुक्त किया गया था। गृह मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, गोविन्द बल्लभ पंत को 26 जनवरी 1957 को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 7 मार्च 1961 को 74 वर्ष की आयु में मस्तिष्क आघात से उनकी मृत्यु हो गई। उस समय भी वे भारत के गृह मंत्री के पद पर थे। पंडित गोविंद बल्लभ पंत के श्रम और उनकी उपलब्धियां अनगिनत हैं।

उक्त अवसर पर सर्वश्री नरसिंह त्यागी, क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी, श्री राम मौर्य, प्रदीप यादव, शिवनाथ, दुर्गेश सिंह, ओमप्रकाश चैधरी, देवेन्द्र देव शुक्ल, रामकोमल, वीरेन्द्र प्रसाद, मोहम्मद सफी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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