गोरखपुर। विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी की पूजा की महानगर के चांहुओर धूम है। शहर में गणेश उत्सव में प्रतिमा स्थापना की शुरुआत घासी कटरा से मानी जाती है। यहां पर वर्ष 2003 में ही गणपति की प्रतिमा स्थापित की गई थी। तभी से लगातार प्रतिमा की भव्यता को आकर्षण का रूप देने में गोरखपुर गणपति महोत्सव लगा हुआ है। कोविड-19 को देखते हुए विगत 2 वर्षों से भगवान के स्वरूप को सीमित कर दी गई है। बावजूद इसके यहां की प्रतिमा महाराष्ट्र के मुंबई से आज भी मंगाई जाती है। इस वर्ष भगवान की प्रतिमा मुंबई से ट्रेन द्वारा लाई गई। बता दें कि यह प्रतिमा कृतिम आर्टिफिशियल डायमंड से बने जेवरात से सजाई गई है। घासी कटरा में स्थापित गणेश जी की मूर्ति का निर्माण मुंबई के सुप्रसिद्ध श्री मयूरेश कला निकेतन द्वारा किया गया है। मूर्तिकार मनोज गुप्ता जो इको फ्रेंडली एडी से मूर्ति को बनाया है। जो विसर्जन के बाद पानी में जाते ही मूर्ति स्वतः गल जाएगी और पानी को प्रदूषित नहीं होने देगी। मां पार्वती के संतान गजानंद का उत्सव विधि विधान के साथ मनाया जा रहा है। गणेश उत्सव की पूरी तरह से शहर रम गया है।
घासी कटरा गणपति महोत्सव के अध्यक्ष सुधाकर मोदनवाल ने बताया कि वर्ष 2003 में मात्र पांच लोग ने मिलकर गणपति उत्सव को मनाया गया था। जिसमें बहुत सारी दिक्कतें आई थी। लेकिन हम लोगों की आस्था व श्रद्धा को देखते हुए उत्सव से लोग जुड़ते गए और बढ़ता गया। वर्तमान में एक लंबा कारवां का स्वरूप धारण कर चुका है। श्रद्धालु अपनी स्वेच्छा से गोरखपुर गणपति में सहयोग करते हैं। गोरखपुर गणपति महोत्सव के लोग का अपना प्रयास रहता है कि प्रत्येक वर्ष नए व आकर्षक स्वरूप में गणेश जी की प्रतिमा का स्थापना किया जाए। और श्रद्धालु दूरदराज से दर्शन करने यहां पधारे। उन्होंने बताया की कोविड-19 को देखते हुए 2 वर्षों से गणेश प्रतिमा घरों में स्थापित कर पूजा अर्चना भव्य रुप से पूरे विधि विधान से किया जा रहा है। इस दौरान गणेश चतुर्थी से प्रतिदिन प्रातः 8:00 और सायं 8:30 बजे आरती पूजन भव्य रुप से की जाती है। कोविड-19 को पूरे ध्यान में रखकर पूजा अर्चना किया जाता है।
आरती पूजन में आयुष मौर्य, अजय जायसवाल, विकास गुप्ता, आयोजक पंकज गुप्ता, मनोज अग्रहरी, राहुल गुप्ता, अमित गुप्ता, शुभम शर्मा, श्रेया गुप्ता, सुनील अग्रहरी, बबलू अग्रहरी, कुणाल मद्धेशिया, मोनी श्रीवास्तव, मंजीत कुशवाहा, सनी निगम आदि लोग मौजूद रहे।
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