भगवान के चरित्र का श्रवण मात्र से अनेकों जन्म का उद्धार : श्रीअच्युतलाल भट्ट

गोरखपुर। सार्वभौम गृहस्थ संत नित्यलीलालीन भाईजी श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार एवं उनके नित्यसहचर श्रीराधाबाबा की पावन तपस्यास्थली गीता वाटिका प्रांगण में  श्रीभाईजी की 129 वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में  आयोजित  श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के प्रथम दिवस कथा का शुभारम्भ हुआ।

वृन्दावन से पधारे श्रीअच्युतलाल भट्ट जी ने व्यासपीठ से श्रीमद्भागवत को  कहा कि संपूर्ण सृष्टि भगवान की लीला का स्मरण करके मानव जीवन के चरम लक्ष्य को प्राप्त करती है। भगवान अवतार ग्रहण करके जो लीला करते हैं उनका श्रवण करके जीव कृतकृत्य हो जाता है। अवतार काल में भगवान की भगवत्ता की अपेक्षा उनकी कृपालुता अधिक प्रकट होती है। भगवान का आविर्भाव किसी कर्म बंधन के कारण नहीं होता है। भगवान का "जन्म" नहीं "आविर्भाव" होता है। इसी प्रकार भगवान के नित्य परिकर भी समय-समय पर अवतरित होते हैं, जिनके चरित्र का श्रवण कल्याणकारी होता है।

कर्म तीन प्रकार के होते हैं--- संचित, क्रियमाण और प्रारब्ध। तरकस में रखा हुआ बाण 'संचित कर्म' की तरह है। धनुष पर चढ़ा हुआ बाण 'क्रियमाण' है और धनुष  से छूटा हुआ बाण 'प्रारब्ध' है। संचित और क्रियमाण को नियंत्रित किया जा सकता है, परंतु प्रारब्ध को रोका नहीं जा सकता। भगवान तथा संतों की कृपा से प्रारब्ध भी सुधर जाता है।

 कथाव्यास ने श्री भाईजी की तीन अतुल संपत्तियों की चर्चा की ---

(1)  सबमें भगवान को देखना।

(2)  भगवत्कृपा पर अटूट विश्वास।

(3) भगवन्नाम का अनन्य आश्रय  ।

कथा प्रारंभ होने से पूर्व  मंचस्थ पूज्य श्रीभाईजी, पूज्या माँजी एवं पूज्य श्रीराधा बाबा के चित्रपट एवं कथाव्यास का पूजन - अर्चन - माल्यार्पण किया गया।

 प्रातः 10:00 से 12:00 बजे तक श्रीभाईजी द्वारा रचित पदों के संग्रह-ग्रंथ 'पद रत्नाकर' के पदों का गायन किया गया।

 कथा 3 अक्टूबर 2021 तक चलेगी । कथा का समय प्रतिदिन सायं  04:00 बजे से  07:00 बजे तक रहेगा।

श्रीभाईजी की जयंती आश्विन कृष्ण द्वादशी तदनुसार 3 अक्टूबर 2021 (रविवार) को मनाई जाएगी ।

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