भगवान से जुड़ने का सर्वोत्तम साधन भक्ति : श्रीअच्युतलाल जी

गोरखपुर। श्रीभाईजी की 129 वीं जयन्ती पर गीता वाटिका परिसर में वृन्दावन से पधारे श्रीअच्युतलाल भट्ट जी ने कथा प्रसंग के अंतर्गत कहा कि भगवान के माधुर्य स्वरूप का बोध भगवान के नरसिंह, वामन, मत्स्य आदि अवतारों में नहीं होता। ये अवतार भगवान के केवल ऐश्वर्य का ही बोध कराते हैं।

भगवान की मनुष्य-लीला में भगवानकी सेवा का जो अवसर प्राप्त होता है, वैसा वैकुण्ठ में भी नहीं होता। मनुष्य-लीला में ही प्रभु के साथ अंतरंग संबंध जुड़ता है। मनुष्य लीला में भी व्रज की लीला का भाव अद्भुत है। प्रेम के संबंध की प्रगाढ़ता जैसी व्रज लीला में है, वैसी अन्यत्र नहीं है। भगवान से जुड़ने का सर्वोत्तम साधन श्रवण, कीर्तन और स्मरण है। नवधा भक्ति में ये तीन ही प्रधान हैं। इनमें कीर्तन को बीच में रखा गया है। जिस प्रकार देहरी पर रखा दीपक घर के अंदर और बाहर दोनों को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार कीर्तन दीपक की तरह श्रवण और स्मरण को भी प्रकाशित व प्रभावित करता है।

कथा प्रारंभ होने से पूर्व मंचस्थ पूज्य श्रीभाईजी, पूज्या माँजी एवं पूज्य श्रीराधा बाबा के चित्रपट एवं कथाव्यास का पूजन - अर्चन - माल्यार्पण किया गया।

प्रातः 10:00 से 12:00 बजे तक श्रीभाईजी द्वारा रचित पदों के संग्रह-ग्रंथ 'पद रत्नाकर' के पदों का गायन किया गया ।

कथा 3 अक्टूबर 2021 तक चलेगी । कथा का समय प्रतिदिन सायं 04:00 बजे से 07:00 बजे तक रहेगा।

श्रीभाईजी की जयंती आश्विन कृष्ण द्वादशी तदनुसार 3 अक्टूबर 2021 (रविवार) को मनाई जाएगी।

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