गोरखपुर-वाराणसी हाईवे पर आमी नदी का पानी आया, फरेन नाले के उफान से डूबे कई गांव


गोरखपुर। जिले में आमी नदी का पानी चढ़ने के कारण गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया है। राजमार्ग पर नकबैठा पुल के दो फिट से अधिक पानी आने की वजह से वाराणसी से आने वाले वाहनों को कौड़ीराम चौराहे से डायवर्ट कर बांसगांव-खजनी होते हुए गोरखपुर भेजा जा रहा है। वहीं गोरखपुर की तरफ से जाने वाले वाहन नौसड़ चौराहे से खजनी-बांसगांव के रास्ते कौड़ीराम से होकर जा रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग बंद किए जाने की वजह से शुक्रवार को गोरखपुर-खजनी मार्ग पर करीब 10 किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया। डीएम विजय किरण आनंद ने निरीक्षण कर बाढ़ के हालात का जायजा लिया और जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दिए। शुक्रवार सुबह गोरखपुर-वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कसिहार चौराहे के निकट तीन तक्खा पुल के पास से लेकर नकबैठा पुल से आगे बगहाबीर बाबा मंदिर के पास तक आमी नदी का पानी सड़क पर चढ़ने से वाहनों का संचालन कौड़ीराम के पास बंद कर दिया गया।

सूचना पाकर करीब 11:00 बजे डीएम विजय किरन आनंद ने स्थलीय निरीक्षण किया। नकबैठा पुल के पास एनएचआई द्वारा सड़क की दोनों पटरियों पर मिट्टी के बंधे बनाकर पानी को रोका गया लेकिन यह दबाव झेल न सका और आमी नदी का पानी फिर राष्ट्रीय राजमार्ग पर चढ़ गया। इससे पहले तक राजमार्ग पर हल्के वाहनों का संचालन किया जा रहा था लेकिन दोबारा पानी आने के बाद शुक्रवार को पुलिस ने बोर्ड लगा कर सभी प्रकार के वाहनों को कौड़ीराम से डायवर्ट कर दिया। इसके बाद लगे जाम में बड़ी संख्या में लोग फंसे रहे। दरअसल एनएच-29 वाराणसी को गोरखपुर जोड़ने का प्रमुख मार्ग है। यहां से राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 24 होते हुए वाहन नेपाल तक जाते हैं।

कनईल मलाव बंधे पर रिसाव को प्रशासन ने कराया बंद

राप्ती नदी के कनईल-मलाव बंधे से कनईल गांव के सम्मय माता मंदिर के पास शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे रिसाव होने लगा। रिसाव की सूचना से आसपास के गांवों में भय का माहौल बन गया। कुछ ही देर में पहुंची प्रशासन की टीम और स्थानीय ग्रामीणों ने फिल्टर बनाकर रिसाव को बंद किया। वहीं खबर लिखे जाने तक राप्ती नदी के बेला मलाव बंधे पर मधुरिया बीर बाबा के स्थान के पास रिसाव जारी था। इससे बेला, देवकली, मलाव, खदियापार, घनसही, सोनवापार समेत आधा दर्जन से अधिक गांवों के लोग दहशत में थे। एहतियात के तौर पर ग्रामीण खानपान की चीजों को सहेजने में जुट गए हैं।

जोगिया में टूटा बांध

विकास खंड ब्रह्मपुर के जयराम कोल भरोहिया में स्थित गोर्रा नदी का जोगिया बंधा जोगिया गांव के पास शुक्रवार को दिन में करीब तीन बजे टूट गया। इस बंधे के टूटने से राजधानी, सिलहटा मुंडेरा, बसुही, जयराम कोल, भरोहिया गांव के हजारों लोग एवं सैकड़ों एकड़ फसलें प्रभावित होगी। लोग अपने परिवार और जानवरों को लेकर पलायन कर रहे हैं। सूचना मिलते ही भाजपा नेता आनंद शाही, झंगहा पुलिस, उप जिलाधिकारी चौरीचौरा अनुपम मिश्र, तहसीलदार विरेंद्र गुप्ता, भाजपा नेता डाक्टर राम मिलन प्रजापति मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को सभी प्रकार की मदद का आश्वासन दिया। अधिकारियों ने कहा कि ग्रामीण समय रहते ऊंचे स्थानों पर चले जाएं। सबसे पहले बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को सुरक्षित स्थान पर भेजने की व्यवस्था करें।

बाढ़ और बारिश से रोजी-रोटी पर संकट गहराया

राप्ती नदी की बाढ़ में अमरूतानी मोहल्ले के लोगों का घर तो डूबा ही है, रोजगार पर भी संकट छा गया है। अमरूद व फल बेंचकर दो वक्त की रोटी जुटाने वाले इस मोहल्ले के अधिकांश परिवारों के सामने अब फांकाकशी की नौबत आ गई है। राजघाट पुल से पहले नदी के कैचमेंट एरिया में सैकड़ों मकान बने हुए हैं। इन घरों को भले ही प्रशासनिक दृष्टिकोण से वैध न माना जाता हो, लेकिन इनमें रहने वालों को बाढ़ जैसी विभीषिका प्रभावित अन्य गांवों व मोहल्ले के लोगों से अधिक तकलीफ देती है। इसकी वाजिब वजह 80 साल की बसंती देवी बेहतर बताती हैं। बकौल बसंती देवी ‘दुकानदारी चलती है तो घर का चूल्हा जलता है, हर साल हमारे घर पानी में डूब जाते हैं। इस साल पानी अधिक होने की वजह से दिक्कत आई है’।


मजदूरी करने भी नहीं जा सकते

बहरामपुर गांव के जिन लोगों के घर में पानी भरा है वे लोगों व सामान की सुरक्षा में लगे हुए हैं। लिहाजा मजदूरी करने भी नहीं जा पा रहे हैं। इस गांव के निवासी महेंद्र ने बताया कि हर दिन मजदूरी करके ही परिवार का खर्च निकलता है। बाढ़ की वजह से एक सप्ताह से मजदूरी करने नहीं जा सके हैं। जयप्रकाश एक दुकान में काम करते हैं। बाढ़ के चलते वह भी काम पर नहीं जा पा रहे हैं। इनके दुकान मालिक ने कल खाने-पीने का सामान भेजा था। कुछ दिन पहले कोटेदार के यहां से राशन मिला था, लेकिन दिक्कत यह है कि उसे कहां और कैसे पकाएं।


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