‘‘रामायण कान्क्लेव‘‘ में कवियों ने जताया जन में राम

भजन और लोक नृत्य से प्रभु श्रीराम के गुणों का वर्णन


- राकेश उपाध्याय ने राम के भजन से किया मंत्र मुग्ध

- उदय शंकर मिश्र एवं साथी आजमगढ़ द्वारा सारंगी वादन

- रामज्ञान यादव एवं साथी गोरखपुर द्वारा फरूवाही लोक नृत्य की प्रस्तुति

- उमेश कन्नौजिया आजमगढ़ ने धोबिया लोकनृत्य किया

- महराजगंज के अमित अंजन द्वारा गायन

- लखनऊ के अनुज मिश्र द्वारा कथक नृत्य नाटिका

- गोरखपुर की प्रतिमा श्रीवास्तव द्वारा भजन का गायन

- मनोज मिहिर द्वारा भोजपुरी लोकगायन

- प्रो. शरदमणि त्रिपाठी गोरखपुर द्वारा उपशास्त्रीय गायन 

- निधि तिवारी एवं साथी द्वारा ‘राम‘ नृत्य नाटिका एवं दर्पण

- गोरखपुर द्वारा ‘शबरी‘ की नाट्य की प्रस्तुति 

गोरखपुर। पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग और अयोध्या शोध संस्थान द्वारा दो दिवसीय आयोजित रामायण कान्क्लेव की श्रृंखला में रविवार को प्रभु श्रीराम के गुणों का वर्णन के साथ संपन्न हुआ। योगिराज बाबा गम्भीरनाथ प्रेक्षागृह एवं सांस्कृतिक केन्द्र में आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डाॅ. लवकुश द्विवेदी रहे।  


राकेश उपाध्याय ने राम के भजन से किया मंत्र मुग्ध


कार्यक्रम की शुरूआत रामकथा/रामायण पर आधारित कवि सम्मेलन से हुआ। जिसमें कवियों ने प्रभु श्रीराम के गुणों का वर्णन कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया। इस दौरान भालचन्द त्रिपाठी ने कहा कि -

"धीरोदात्त, सहज, सरल हैं मेरे प्रभु राम।

होकर सर्वसमर्थ भी दुख झेले अविराम।।"

डॉ कमलेश शर्मा, इटावा ने कहा कि -

"राम आलौकिक युग नायक थे, दनुज दलन हित धनु सायक थे। 

राम चिन्ह जीवन दर्शन के, मूल श्रोत युग परिवर्तन के।"

श्री कुँवर विनम्र ने कहा कि -

"सर्वस्व समर्पण मेरा है प्रभु राम तुम्हारे चरणों में

दिन रैन तुम्हारे चरणों में हर काम तुम्हारे चरणों में,

तुम दाता हो तुम ज्ञाता हो तुम ही स्वामी अन्तर्यामी, 

जीवन के हर एक क्षण का सम्मान तुम्हारे चरणों में,"

डॉ वेद प्रकाश द्विवेदी ‘‘प्रचण्ड‘‘ बस्ती ने कहा कि -

"राम अनादि अनन्त अगोचर ।

राम ही है सबके घट वासी।।

दीन दयाल कहावत जो ।

सुखसागर हैं हरिलेत उदासी ।

यज्ञ चरू प्रकटे रघुनंदन।

मावस गय भइ पूरनमासी।।

लोक सुमंगल हेतु प्रभो।

तजि औध सुराज भये वनवासी।।" 

डॉ चारुशीला सिंह ने कहा कि -

"मानव मूल्यों के संरक्षक संवाहक श्रीराम,

हर विवाद मिट जाये वो संवाद मेरे श्रीराम।।"

डॉ अखिलेश मिश्रा, आई.ए.एस. ने कहा कि -

"उठो उर्मिला सूर्यवंश का लखन तेरे अभिनंदन में है -

सरला शर्मा ‘लखनऊ‘ ने कहा कि -

वो दीनों के है दीनबंधु उस कमलनयन अभिराम की जय 

निष्काम कर्मरत उपकारी अद्भुतअतुलित बलधामं की जय 

मां कौशल्यानंदन सीतापति रघुवर पूरणकाम की जय 

बोलो मर्यादा पुरुषोत्तम दशरथनंदन श्री राम की जय" 

आशुकवि राजेश राज, सचिव, ‘कविलोक‘ सार्थक सृजन मंच, गोरखपुर ने कहा कि-

"जाने कितनी राम कथाएं 

जग में बिना कही स 

सबको तुलसी मिल जाये, 

होता सौभाग्य नही स" 

डॉ. विनम्र सेन सिंह ने कहा कि -

"एक ही बिंदु से हम हैं जन्में सभी,

आप माने इसे या न माने कभी।

भ्रम का पर्दा हटाकर जरा देखिए,

राम सबके हैं और राम के हैं सभी।।"

सांस्कृतिक कार्यक्रम में उदय शंकर मिश्र एवं साथी आजमगढ़ द्वारा सारंगी वादन, रामज्ञान यादव एवं साथी गोरखपुर द्वारा फरूवाही लोक नृत्य, राकेश उपाध्याय द्वारा भजन, उमेश कन्नौजिया आजमगढ़ द्वारा धोबिया लोकनृत्य, महराजगंज के अमित अंजन  द्वारा गायन, लखनऊ के अनुज मिश्र द्वारा कथक नृत्य नाटिका, गोरखपुर की प्रतिमा श्रीवास्तव द्वारा भजन, मनोज मिहिर गोरखपुर द्वारा भोजपुरी लोकगायन, प्रो. शरदमणि त्रिपाठी, गोरखपुर द्वारा उपशास्त्रीय गायन एवं निधि तिवारी एवं साथी द्वारा ‘राम‘ नृत्य नाटिका एवं दर्पण, गोरखपुर द्वारा ‘शबरी‘ की नाट्य प्रस्तुति दी गयी।

संचालन शिवेन्द्र पाण्डेय एवं विनय पांडे ‘विनम्र‘, गोरखपुर द्वारा किया गया।अतिथियों को संस्कृति विभाग की ओर से स्मृति चिन्ह तथा अंगवस्त्र आदि प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बौद्ध संग्रहालय के उप निदेशक डाॅ. मनोज कुमार गौतम, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रविन्द्र कुमार, हरिप्रसाद सिंह, हेमन्त मिश्र, राकेश श्रीवास्तव, अद्या प्रसाद द्विवेदी, सुभाष चौधरी, मानवेन्द्र त्रिपाठी आदि लोग उपस्थित रहे।

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