गोरखनाथ मंदिर में श्रीराम कथा ज्ञान-यज्ञ का शुभारम्भ, निकाली गई अखण्ड ज्योति की शोभायात्रा

युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज की 52वीं और राष्ट्रसंत महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 7वीं पुण्यतिथि साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह 18 से 24 सितम्बर 2021 तक

गोरखपुर। श्री गोरखनाथ मन्दिर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज के 52वीं एवं राष्ट्रसंत महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की 7वीं पुण्यतिथि साप्ताहिक पुण्यतिथि समारोह के अन्तर्गत भगवान ‘श्रीराम एवं श्रीकृष्ण कथा का तात्त्विक विवेचन’ कथा ज्ञान-यज्ञ का शुभारम्भ अखण्ड ज्योति की शोभायात्रा गोरक्षपीठाधीश्वर परम पूज्य महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज के नेतृत्व में कथाव्यास जदग्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज एवं सपरिवार यजमानगण व साधु-सन्त के साथ स्मृति सभागार पहुंची। अखण्ड ज्योति के स्थापित होने एवं दोनो ब्रह्मलीन महाराज जी के चित्र पर पुष्पांजलि के साथ कथा प्रारम्भ हुई। 

उद्द्याटन अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरक्षपीठाधीश्वर परम पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने कहा कि गोरक्षपीठ किसी न किसी सुप्रसिद्ध कथाव्यास को प्रतिवर्ष श्रद्धांजलि के अवसर पर आमंत्रित करके गोरखपुर के जनता को कथा सुनाने का लाभ कराती रही है। इसी क्रम में पूज्य स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज का सानिध्य हमारे लिए सौभाग्य की बात है। कथा भारत की परंपरा का एक भाग रहा है। हजारों वर्षों से वेद, पुराण उपनिषद, रामायण, महाभारत की कथाएं पीढ़ी दर पीढ़ी विस्तार होते हुए जनमानस के केंद्र में रही हैं। श्रीमद्भगवतगीता के माध्यम से भारत के इतिहास को आगे बढ़ाने का काम किया गया है। आज से प्रारंभ होने वाले कथा में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम एवं लीलाधारी भगवान श्रीकृष्ण के कथाओं का तात्विक विवेचन कथा व्यास जी के माध्यम से किया जाएगा। वर्तमान में श्रीराम एवं श्रीकृष्ण के कथाओं की क्या उपयोगिता है यहां के लोगों का उससे क्या सम्बन्ध है ,निश्चित रूप से कथा व्यास जी के द्वारा सुनने का अवसर यहां के लोगों को मिलेगा। गोरक्षपीठाधीश्वर युगपुरुष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं राष्ट्रसंत महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज का पूरा जीवन देश और सनातन धर्म के स्थापना के लिए समर्पित रहा है। देश ही नहीं अपितु विश्व में जहां भी कोई भी घटना सनातन धर्म को प्रभावित करने वाली होती थी। उस पूरी घटना मे पूज्य ब्रह्मलीन दोनों महाराज जी अपने आपको भागीदार बनाया था। गोरखपुर के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के साथ धर्म जागरण में इन दोनों महापुरुषों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। 500 वर्षों से एक बड़ी समस्या जिसको लेकर गोरक्षपीठ के दोनों आचार्यों ने अपनी महती भूमिका निभाई थी। आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी के मार्गदर्शन में एक भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है। राम मंदिर के निर्माण से दोनों महाराज जी के आत्मा को अपार शांति की अनुभूति हो रही होगी। श्रीराम एवं श्रीकृष्ण के पावन कथा के तात्विक विवेचन को हम सभी को समझने का प्रयास करना चाहिए और अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। मुख्यमंत्री जी ने आज विश्वकर्मा जयंती पर भी लोगों को बधाई दिया तथा मोदी जी के जयंती के अवसर पर कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी देश का सम्मान विश्व स्तर पर बढ़ाया है इसलिए वे वंदनीय है। हम ईश्वर से उनके स्वस्थ जीवन की कामना करते है।

दिगंबर अखाड़ा अयोध्या से पधारे महंत सुरेश दास जी महाराज ने कहा कि कथा सुनने से भगवान की पहचान होती है, जो कथा सुनता है वह भगवान को पहचान लेता है क्योंकि वह भगवान के कृत्यों को कथा के माध्यम से सुनता है और अपने जीवन में उतारता है।

अयोध्या से पधारे रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि गोरक्षपीठ के आचार्यों ने सदा सनातन धर्म की रक्षा के लिए काम किया है। सनातन धर्म को समृद्ध करने, उसकी रक्षा करने में पूज्य दोनों महाराज जी का जीवन समर्पित रहा है। आज से प्रारंभ होने वाली कथा में भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन का तात्विक विवेचन जिनके द्वारा किया जा रहा है वे वेद, वेदांत, न्याय, मीमांसा, दर्शन सहित सभी विषयों के ज्ञाता है। निश्चित रूप से कथा का लाभ हम सभी को प्राप्त होगा। 

स्वामी हरिनारायणाचार्य जी द्वारा कथा व्यास स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज की विरदावली प्रस्तुत की गई।

श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथाव्यास स्वामी वासुदेवाचार्य जी महाराज ने कहा कि आज हम सभी का सौभाग्य है कि हमें एक संस्कृत बोलने वाला मुख्यमंत्री मिला है। उत्तर प्रदेश ऐसा प्रदेश है जिसमें सप्त पुरियों में चार पुरियां विद्यमान है। आज अयोध्या के घाटों में सरजू का सतत् प्रवाह माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रयास से ही संभव हुआ है। ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज व राष्ट्रसन्त महन्त अवेद्यनाथ जी के सभी संकल्पों को पूरा करने का कार्य पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज कर रहे हैं। शासन सही ढंग से वही कर सकता है जो योगी होता है। भगवान श्रीराम के प्रसंग में संतो ने कहा कि आप वन में रहे या नगर में रहे आप ही मेरे राजा हैं आप ही मेरे स्वामी है क्योंकि आप योगी है। मुख्यमंत्री जी वास्तव में योगी है, जिनको पद प्राप्त से किसी प्रकार का अभिमान नहीं है। यही बात गीता में भगवान श्रीकृष्ण भी कहते हैं कि कर्म ही संसार में प्रधान है, उसको करते समय अभिमान नहीं होना चाहिए। कर्म ही पूजा है और कर्म ही सब कुछ है। कर्म ही सभी का कारण होता है। भागवत एवं रामायण के कथा का तात्विक विवेचन यही है कि यदि आप अपना कर्म सही नहीं रखेंगे तो परिणाम गलत ही होगा। कर्म ही गुरु है तथा कर्म ही ईश्वर है। 

कथाव्यास ने आगे कहा कि परम ब्रह्म परमात्मा भी इस कर्मभूमि पर आते है तो उनको भी इस कर्म के सिद्धांत का अनुसरण करना पड़ता है। इसी कर्म को अपनी पूजा व दायित्व मानते हुए, हमारे मुख्यमंत्री जी अपनी व्यस्तताओं में से समय निकालकर अपने गुरु के प्रति श्रद्धा समर्पित करने के लिए हम सभी के बीच में है। गोरक्षपीठ की जिस परंपरा का शुभारंभ महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज व महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने किया था उस परंपरा का पूज्य योगी जी अपने प्रबल कर्मा से विकास किया । यही कर्म का फल है कि जो हनुमान जी त्रेतायुग में नीचे बैठते थे वे कृष्णावतार में श्री कृष्ण के रथ पर ध्वज पर विराजमान होते है। समाज यदि आपको सम्मान देता है, तो आपका दायित्व है कि समाज की जो मूलभूत आवश्यकता है, उसका ध्यान करना चाहिए अतिशय उपयोगितावादी का ही नाम हिरण्यांक्ष है। इसलिए भगवत में भगवान सबसे पहले हिरण्यांक्ष का वध किया है। 

कथाव्यास ने आज की कथा में भगवान श्रीकृष्ण का दूत बनकर हस्तीनापुर में जाना, बिदुर के घर बिदुरानी द्वारा केले के छिलके का खाना तथा हनुमान जी को श्रीकृष्ण द्वारा रथ के ध्वज में स्थान देना, धूंधकारी एवं गोकर्ण के जन्म की कथा का तात्त्विक विवेचन करते हुए व्यक्ति के वर्तमान को उसके कर्मो का ही फल बताया तथा समकालिन विषयों को उससे जोड़ा। 

कथा के अन्त में आरती में महन्त प्रेमदास महाराज, महन्त रविन्द्रदास महाराज, संतोषदास सतुआ बाबा, महन्त अवधेशदास जी, योगी कमलनाथ सहित यजमानगण- अवधेश सिंह, सीताराम जायसवाल, महेन्द्रपाल सिंह, अतुल सिंह, पुष्पदन्त जैन, जितेन्द्र बहादुर चन्द, जीएस राय, श्रीचन्द्र बंसल, महेश पोद्दार, संजय सिंह, बृजेश यादव, गोरख सिंह, प्रदीप जोशी, अरूण कुमार अग्रवाल (लाला जी), अजय कुमार सिंह, विकास जालान, कनकहरि अग्रवाल, अशोक जालान, शाश्वत पियूष अग्रवाल आदि लोग उपस्थित रहें। 


संचालन डाॅ0 श्रीभगवान सिंह जी ने किया 



कल की प्रातः कालीन संगोष्ठी का विषय-

(एक भारत-श्रेष्ठ भारत की संकल्पना ही 

 समर्थ भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा)

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