सर्वोत्तम प्रयोजनीय पदार्थ श्री कृष्ण-भक्ति : श्रीअच्युतलाल

गोरखपुर। गीता वाटिका प्रांगण में श्रीभाईजी की 129 वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से कथा प्रसंग के अंतर्गत वृन्दावन से पधारे श्रीअच्युतलाल भट्ट जी ने कहा कि श्री रामावतार और श्री कृष्णावतार एक कल्प में केवल एक ही बार होता है । सर्वोत्तम उपास्य श्री कृष्ण हैं और सर्वोत्तम प्रयोजनीय पदार्थ श्री कृष्ण - भक्ति है । किसी कल्प के जिस द्वापर में श्रीकृष्ण का अवतार होता है उसी द्वापर के आगामी कलियुग में श्रीराधाकृष्ण का संयुक्त अवतार गौरहरि चैतन्य महाप्रभु के रूप में होता है।

गौरहरि चैतन्य महाप्रभु श्रीकृष्ण के परिशिष्ट अवतार हैं । श्रीकृष्ण केवल अवतार नहीं हैं, वे अवतारी हैं।

कृष्णस्तु भगवान् स्वयं .....

श्रीकृष्ण का अवतार केवल कंस, शिशुपाल तथा अन्यान्य असुरों के वध के लिए ही नहीं हुआ था । श्रीकृष्ण के अवतार का प्रयोजन है प्रेम- रस-निर्यास का आस्वादन।

निर्यास का अर्थ है सार का भी सार । श्रीकृष्ण रसरूप हैं और उनके अवतार का प्रयोजन है राग- मार्ग की संपूर्ण जगत् में स्थापना । गोलोक में भी जिस रस का विस्तार नहीं था, उसका आस्वादन करने के लिए श्री कृष्ण का आविर्भाव हुआ।

कथा प्रारंभ होने से पूर्व मंचस्थ पूज्य श्रीभाईजी, पूज्या माँजी एवं पूज्य श्रीराधा बाबा के चित्रपट एवं कथाव्यास का पूजन - अर्चन - माल्यार्पण किया गया।

 प्रातः 10:00 से 12:00 बजे तक श्रीभाईजी द्वारा रचित पदों के संग्रह-ग्रंथ 'पद रत्नाकर' के पदों का गायन किया गया ।

कथा 3 अक्टूबर 2021 तक चलेगी । कथा का समय प्रतिदिन सायं 04:00 बजे से 07:00 बजे तक रहेगा ।

श्रीभाईजी की जयंती आश्विन कृष्ण द्वादशी तदनुसार 3 अक्टूबर 2021 (रविवार) को मनाई जाएगी।

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