सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गृहस्थ हो या संत, उसे कैसा जीवन जीना चाहिए, यह मार्ग भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने सदैव अपने व्यक्तित्व व कृतित्व के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्हें इस दुनिया से गए 50 वर्ष हो गए, इन वर्षों में उनके जैसा कोई दूसरा व्यक्तित्व सामने नहीं आया, जो हर तरह के साहित्य का सृजन कर सके। वह गृहस्थ संत थे। यदि मनुष्य पूरी सद्भावना के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करता है, तो उसके लिए गृहस्थ व संत का भेद नहीं रह जाता। भाई जी उसके एक उदाहरण है।
गोरखपुर। भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार की 129वी जयंती पर रविवार को गीता वाटिका में आयोजित श्रद्धार्चन समारोह में सीएम योगी आदित्यनाथ बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने भाई जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि भाई जी ने धर्म के मर्म को समझा और समझाया भी। साहित्य साधना के माध्यम से सभी क्षेत्रों में कार्य किया। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां उन्हें श्रद्धापूर्वक स्मरण न किया जाता हो। "कल्याण" के आदि संपादक होने के साथ ही उन्होंने उसे घर-घर पहुंचाने का कार्य किया और उसके माध्यम से धर्म के गूण रहस्यों को आम जन की भाषा में जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने कल्याण को आजादी की लड़ाई का माध्यम बनाने में भी संकोच नहीं किया। इसे लेकर सरकार उन पर लगातार दृष्टि रख रही थी, लेकिन माता वह मातृभूमि के प्रति एक नागरिक का क्या कर्तव्य है, उसे वह आम जान को बताते रहे। सनातन धर्म के प्रचार के अलावा बीमार लोगों की सेवा की।
सीएम योगी आदित्यनाथ को पुस्तक देते रसेंदु फोगला।
क्रांतिकारी गतिविधियों को आगे बढ़ाया। आजादी के अमृत महोत्सव में भी उन्हें याद करना और भी प्रासंगिक है। वृंदावन से आए कथा व्यास अच्युतलाल भट्ट, निदेशक, शोध एवं प्रशासन, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद डॉ ओम उपाध्याय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गोरक्ष प्रांत के प्रचारक सुभाष जी, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के ललित कला एवं संगीत विभाग की अध्यक्ष प्रो उषा सिंह और इतिहास विभाग के प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी ने भी भाई जी को भावांजलि अर्पित की। संचालन प्रसून मल्ल ने किया। हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के संयुक्त सचिव रसेंदु फोगला ने स्वागत व उमेश सिंघानिया ने आभार जताया।
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