अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भालचन्द्र गणेश की अर्चना

 करवा चौथ व्रत कल

पं देवेन्द्र प्रताप मिश्र,

शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पं देवेन्द्र प्रताप मिश्र के अनुसार धर्म ग्रंथों एवं ज्योतिष के अनुसार रोहिणी नक्षत्र को बेहद शुभ माना जाता है और इस वर्ष शुभ संयोग बन रहा है क्योंकि करवा चौथ का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा। श्री हृषीकेश पंचांग अनुसार चन्द्रोदय रात्रि 7/52 पर पूजा अर्चना करने का उचित समय है।

पति की दीर्घायु के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है।

करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अ‌र्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है।

वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं।

कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है।

स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं।

यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है।

अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है।

जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं।

इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षार्थ इस व्रत का सतत पालन करें।

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