नरक चतुर्दशी एवं हनुमान् जयन्ती आज

 

आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र,

नरक चतुर्दशी एवं हनुमान् जयन्ती 3 नवम्बर दिन बुधवार को दीपावली का द्वितीय पर्व कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को निम्नलिखित रूप में मनाया जाता है। प्रथम- रूप चतुर्दशी के रूप में। द्वितीय: नरक चतुर्दशी के रूप में। तृतीय: छोटी दीपावली के रूप में। चतुर्थ: हनुमान् जयन्ती के रूप में। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 6 बजकर 29 मिनट पर, त्रयोदशी प्रातः काल केवल 7 बजकर 14 मिनट तक ही, पश्चात सम्पूर्ण दिन और रात्रि  शेष 5 बजकर 31 मिनट( 4 नवम्बर को प्रातः) तक चतुर्दशी, विष्कुम्भ एवं प्रीति योग और आनन्द नामक महा औदायिक योग भी है। इस दिन के कृत्य-कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व तेल और उबटन लगाकर स्नान करने का विधान है। कारण है कि यह पर्व रूप निखारने से सम्बन्धित है। इसी कारण इसे रूप चतुर्दशी कहते हैं। इस दिन प्रातः स्नान से जहाॅ सौन्दर्य की प्राप्ति होती है वहीं शरीर में दिव्य शक्ति का संचार होता है और कई प्रकार के रोगों से छुटकारा भी मिलता है। स्नान से पूर्व वरूण देवता का ध्यान करते हुए, जल में हल्दी और कुंकुम डाल देना चाहिए। पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर को इसी दिन मारकर पृथ्वीवासियों को उसके भय से मुक्ति दिलाई थी। इसकी खुशी के उत्सव के कारण इस दिन दीपामालाएं आयोजित की जाती है। इसी कारण इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। दीपमालाएं आयोजित करने का एक कारण यह भी है कि राजा बलि को भगवान विष्णु ने प्रतिवर्ष इन तीन दिनों का राजा बनाने की व्यवस्था की है और बलि के राज्य में दीपमालाओं का आयोजन करने से स्थायी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

Comments