आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र,
महालक्ष्मी पूजन (दीपावली) के शुभ काल (मुहुर्त) 4 नवम्बर दिन बृहस्पतिवार को सूर्योदय 6 बजकर 30 मिनट पर और अमावस्या तिथि दिन सम्पूर्ण दिन और रात्रिशेष 3 बजकर 32 मिनट तक है।प्रातःकाल 8 बजकर 12 मिनट तक चित्रा नक्षत्र पश्चात सम्पूर्ण दिन और रात भर स्वाती नक्षत्र,प्रीति योग दिन में 12बजकर 40 मिनट,पश्चात आयुष्मान योग है।श्रीमहालक्ष्मी पूजन, दीपदानदि के लिए प्रदोषकाल से आधी रात तक रहने वाली अमावस्या श्रेष्ठ होती है।इस वर्ष प्रदोषकाल और अर्द्धरात्रि मे अमावस्या होने से यह दिन अत्यन्त प्रशस्त दिन है।इस दिन प्रदोष काल में दीप प्रज्वलन,महालक्ष्मी पूजन,श्री गणेश एवं कुबेर आदि कृत्य करने का विधान है।धर्मसिन्धु का वाक्य है--"प्रदोषे दीपदान लक्ष्मी पूजनादि विहितम्।।"-ऐसा ही कथन तत्त्वचिन्तामणि का भी है--"कार्तिक कृष्ण पक्षे च प्रदोषे भूतदर्शयोः,नरः प्रदोष समये दीपान दद्यात् मनोरमान्।।"-
इस वर्ष सूर्यास्त (प्रदोष काल आरम्भ)के बाद मेष व वृष लग्न एवं स्वाती नक्षत्र विद्यमान होने से यह समयवधि श्री गणेश,श्री महालक्ष्मी पूजन आदि कृत्यों के आरम्भ के लिए यह मुहुर्त अत्यन्त शुभ रहेगा।वृहस्पतिवार की दीपावली व्यापारियों,बौद्धिक जगत से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से उत्तम रहेगा।लक्ष्मी पूजन ,दीपदानादि के लिए प्रदोष काल विशेषतया प्रशस्त माना गया है।-"कार्तिक प्रदोषे तु विशेषेण निशावर्धके।तस्यां सम्पूजयेत देवी भोगमोक्ष प्रदायिनीम्।।"-अमावस्या के दिन घर में प्रदोषकाल से महालक्ष्मी पूजन प्रारम्भ करके अर्द्धरात्रि तक जप अनुष्ठानादि करने का विशेष महत्व है।
दिन की शुभ चौघड़िया मुहुर्त--दिन में 10 बजकर 36 मिनट से --12 बजे तक चर बेला-लक्ष्मी सम्वर्धन एवं व्यापार वृद्धि के लिए उत्तम मुहुर्त।
दिन में 12 बजे से ---1 बजकर 25 मिनट तक -लाभ बेला= श्रेष्ठ मुहर्त।
दिन मेष 1 बजकर 26 मिनट से --2 बजकर 49 मिनट तक-अमृत बेला-उत्तम मुहुर्त।
दिन में 4 बजकर 6 मिनट से-- 5 बजकर 30 मिनट तक--शुभ बेला--उत्तम मुहुर्त।
प्रदोष काल
4 नवम्बर को गोरखपुर एवं निकटवर्ती नगरो मे सूर्यास्त 5 बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 04 मिनट तक प्रदोषकाल व्याप्त रहेगा।सायंकाल 6 बजकर 12 मिनट तक मेष लग्न एवं ,6 बजकर 13 मिनट से-8 बजकर 8 मिनट तक वृष लग्न(स्थिर लग्न) विशेष प्रशस्त रहेगा।इस योग में दीपदान,महालक्ष्मी पूजन,कुबेर पूजन,ब्राह्मणों एवं आश्रितों को भेंट,मिष्ठान्नादि वितरण करना शुभ रहेगा।
निशिथ काल
4 नवम्बर को गोरखपुर एवं निकटवर्ती नगरो ग्रामों में निशिथ काल रात में 8 बजकर 5 मिनट से-- 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।निशिथ काल मे मिथुन लग्न मध्यम,तदुपरान्त कर्क लग्न विशेष रूप से प्रशस्त रहेगा। इसमे चर और लाभ की चौघड़िया विशेष शुभप्रद है।इस अवधि में पूजन समाप्त कर श्रीसुक्त पाठ,कनकधारा एवं लक्ष्मी स्तोत्रादि मन्त्रो का जपानुष्ठान श्रेयष्कर है।
महानिशिथ काल
रात्रि मे 10 बजकर 43 मिनट से 1 बजकर 19 मिनट तक महानिशिथ काल रहेगा।इस अवधि में 12 बजकर 40 मिनट तक कर्क लग्न एवं सिंह लग्न (12 बजकर 41 मिनट से 2 बजकर 54 मिनट तक)विशेष प्रशस्त और श्रेष्ठ है।इसमे अमृत की चौघड़िया पूर्ण उत्तम है।इस समयावधि में श्रीमहालक्ष्मी उपासना,यन्त्र-मन्त्र,तन्त्रादि की क्रियाएं,विशेष काम्य प्रयोग,तन्त्र अनुष्ठान आदि सम्पन्न कर सकते है।
[2:40 pm, 31/10/2021] Pt. Sharad Chandra Mishra: नोट--दीपावली पूजन में प्रदोष ,निशिथ एवं महानिशिथ काल के अतिरिक्त चौघड़िया शुभ मुहुर्त में पूजनादि एवं जपादि अनुष्ठान की दृष्टि से विशेष प्रशस्त एवं शुभ माना जाता है।शुभ समय में पवित्र स्थान या पूजा स्थल पर हल्दी,अक्षत से अष्टदल कमल बनाकर श्रीमहालक्ष्मी का आवाहन एवं स्थापन करके देवों की यथाविधि पूजन सम्पन्न करें।
Comments