अमावस्या और कमला जयन्ती 4 को

 


आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र,

दीपावली और कमला जयन्ती 4 नवम्बर दिन बृहस्पतिवार को इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 30 मिनट और अमावस्या तिथि का मान सम्पूर्ण दिन और रात्रि को 3 बजकर 32 मिनट पर्यन्त ,चित्रा नक्षत्र प्रातः 8 बजकर 12 मिनट,पश्चात स्वाती नक्षत्र,प्रीति योग दिन में 12 बजकर 40 मिनट पश्चात आयुष्मान योग है। चर नामक महा औदायिक योग भी है। इस दिन दीपावली पर्व का तीसरा और सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है।इस पर्व को मुख्य रूप से निम्नलिखित रूप में मनाने का प्रचलन है।

1-कमला जयन्ती के रूप में।

2--सरस्वती पूजन दिवस के रूप में।

3--काली पूजन दिवस के रूप में।

4--बही खाता-तुला पूजन के दिवस के रूप में।

5--प्रकाशोत्सव के रूप में।समुद्र मन्थन के दौरान कार्तिक अमावस्या पर महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। महालक्ष्मी कमल के आसन पर विराजमान थीं और उनके दोनो हाथों में कमल विराजमान थे। इसी कारण इन्हे कमला कहा जाता है और कार्तिक अमावस्या को कमला जयन्ती के रूप मे मनाया जाने लगा। लक्ष्मी भक्तों को इस दिन कमला जयन्ती को धूमधाम से मनाना चाहिए। प्रदोषकाल अथवा रात्रि को शुभ मुहुर्त में महालक्ष्मी का विधिवत पूजन करना चाहिए और रात्रि जागरण कर उनके विविध मन्त्रों का जप एवं स्तोत्रों का पाठ करना चाहिए।
एक मान्यता के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमान् जी का जन्म हुआ था। इसलिए यह तिथि हनुमान जयन्ती के रूप मे मनाई जाती है।हनुमान भक्तों को यह जयन्ती उत्सव के साथ मनानी चाहिए। उन्हें संकल्प लेकर इस दिन व्रत करना चाहिए।साथ ही मध्याह्न में उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए तथा हनुमान जी के विग्रह पर चोला चढ़ाना चाहिए। सायंकाल हनुमान जी के मन्दिर में गाय के घी से पूरित दीपक भी जलाना चाहिए और सुन्दर काण्ड आदि का पाठ भी करना चाहिए।

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