महामंडलेश्वर ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य

चार किलोमीटर लेटते हुए पूजा घाट पहुंची

समाज के सुख-समृद्धि के लिए 12 वर्षों से रखती हैं व्रत

गोरखपुर। समाज के सलामती के लिए महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरी ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।

षष्ठी तिथि बुधवार को महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंद गिरी ने समाज की सलामती के लिए 4 किलोमीटर लेटते हुए घाट पहुंची और यहां पर उन्होंने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर यजमान की सुख-समृद्धि की कामना की।

आज दोपहर तकरीबन 2 बजे महामंडलेश्वर अपने आवास से निकलकर दुर्गा मंदिर पहुंची। वहां पर उन्होंने पूजा-अर्चन करने के बाद वे छठ पूजा स्थल घाट पर पहुंच कर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इनके आवास से घाट की दूरी लगभग चार किलोमीटर है। इस दौरान उन्होंने पूरे रास्ते लेटते हुए घाट तक का सफर तय की। 

यात्रा में बैंड-बाजों के साथ किन्नर समाज के लोगों के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी शामिल रहे। गुरुवार को अल सुबह ही भगवान सुर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का अदरक और गुण से पारण करेंगी।

बता दें कि महामंडलेश्वर कनकेश्वरी नंदगिरी छठ महापर्व का व्रत 12 वर्षों से लगातार करती चली आ रही है। कड़ी तपस्या ओं के बीच समस्त सुख सुविधा को त्याग कर व्रत के दौरान वे मंदिर स्थल पर लगे पुआल की बिस्तर पर विश्राम करती हैं। पूरे व्रत के दौरान संन्यासिन आचरण अपना कर बाहरी लोगों से कट जाती हैं। चार दिन तक उनका आगजन से मिलना जुलना बंद रहता है। 


मंदिर ही इनका आवास होता है। वे सस्ती तिथि को निकलकर पूजा घाट बोलती हैं और वहां सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सप्तमी को सूर्योपासना के उपरांत व्रत का पारण करती हैं। चार दिनों तक लगातार पूजा-अर्चना-हवन- पूजन मंदिर में ही किया जाता है। यह समस्त धार्मिक अनुष्ठान समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने और यजमानों की उत्थान के लिए की जाती है।

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