योग और आयुर्वेद तन-मन की साधना का विज्ञान : डॉ. अनन्त नारायण

गोरखपुर, 27 नवम्बर। योग और आयुर्वेद मानव जीवन के स्वास्थ्य संसार में भारतीय ऋषियों द्वारा दिया गया अमूल्य वरदान है। योग एवं आयुर्वेद तन और मन दोनों की साधना का विज्ञान है। मार्डन मेडिसिन आज उसी दिशा की ओर बढ़ रही है जहाँ आयुर्वेद हजारों वर्ष पूर्व प्रतिष्ठित हो चुका है। भारतीय योग एवं आयुर्वेद ही मार्डन मेडिसिन का विकल्प बनेगा। आवश्यकता है आयुर्वेद को आधुनिक पैमाने पर शोधपूर्ण आधार प्रदान करने की। कोविड-19 के उपचार में डी.आर.डी.ओ. द्वारा बनायी गयी दवा ‘टू डी.जी.‘ इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों की एक महत्वपूर्ण पहल थी। 

यह बातें डी.आर.डी.ओ. के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कोविड दवा टू डी.जी. बनाने वाली टीम के सदस्य डॉ. अनन्त नारायण भट्ट ने कही। डॉ. अनन्त नारायण भट्ट आज महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर में संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसेस एवं गुरु श्री गोरक्षनाथ कालेज आफ नर्सिंग के संयुक्त तत्वावधान में ‘आयुर्वेद एवं मार्डन मेडिसिन‘ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बतौर विषय विशेषज्ञ बोल रहे थे।

डॉ. अनन्त नारायण भट्ट ने कहा कि कोविड जैसी महामारी एक प्रकार से जैविक हाथियारों का युद्ध है। इसीलिए रक्षा वैज्ञानिकों को भी इस क्षेत्र में कूदना पड़ा। हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली ही इस युद्ध में विजय दिला सकती है। आयुर्वेद और भारतीय जीवन पद्धति दुनिया में श्रेष्ठतम प्रतिरक्षा पद्धति है। यही कारण था कि कोविड-19 में दुनिया में भारत का मृत्यु दर सर्वाधिक कम रही तथा आयुर्वेद एवं भारतीय उपचार पद्धति के कारण केरल में सर्वाधिक कम थी। आयुर्वेद एवं योग को युगानुकूल शोध-परक ढंग से विकसित कर भारत दुनिया को स्वास्थ्य का अद्वितीय विज्ञान प्रदान करने की दिशा में तेजी से बढ़़ रहा है।

संगोष्ठी में बी.एच.यू. के प्रो. के. रामचन्द्र रेडडी ने कहा कि आयर्वुेद में रसशास्त्र नाथपंथ की अमूल्य देन है। नाथ सम्प्रदाय ने रस सिद्धान्त की विशिष्ट पद्धति दी, जिसे आज भी बी.ए.एम.एस. में पढ़ाया जाता है। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय आयुर्वेद के क्षेत्र में इस विशिष्ट पद्धति पर शोध कराए। इस सिद्धान्त पर आधारित उपचार रोगों के त्वरित उपचार की दिशा में एक महत्वपूर्ण एवं परिणामकारी उपचार है। आयुर्वेद में इमरजंेसी उपचारात्मक औषधियों का विस्तृत उल्लेख है। यह भ्रम फैलाया गया कि आयुर्वेद में त्वरित लाभ के उपचार नहीं है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय पंचकर्म विभाग के अध्यक्ष प्रो. जय प्रकाश सिंह ने कहा कि आयुर्वेद एवं मार्डन मेडिसिन के समन्वय से मानव जीवन के स्वास्थ्य को जिस नए माडल की प्रतिष्ठा में भारत आगे बढ़ रहा है, यह विश्वविद्यालय इस अभियान में मील का पत्थर सिद्ध होगा। आयुर्वेद को हम युगानुकूल एवं वैज्ञानिक मानदण्डों पर खरा उतारने की दिशा में हम काफी सफलता प्राप्त कर चुके हैं।

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल बाजपेई ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्य धाम की परिकल्पना को साकार करेगा। यहॉं एलोपैथी, आयुर्वेद एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति के समन्वय से चिकित्सा का एक लोक कल्याणकारी माडल खड़ा हो रहा है। इस परिसर में स्थित चिकित्सालय ने रोगियों का उपचार शुरु कर दिया है। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय शीघ्र ही शोध के लिए डी.आर.डी.ओ., बी.एच.यू., एम्स, आई.आई.टी. जैसी संस्थाओं के साथ एम.ओ.यू. करने की तैयारी कर रहा है।

अतिथियों का स्वागत गरु गोरक्षनाथ कालेज आफ नर्सिंग की प्राचार्य डॉ. डी.एस. अजीथा ने किया। आभार व्यक्त आयुर्वेद कालेज के प्रधानाचार्य डॉ. पी. सुरेश ने किया। संचालन नर्सिंग कालेज की छात्राएं ऐश्वर्या एवं प्राची ने किया।

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