भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के ये हैं कुछ अचूक उपाय!

रविवार सूर्य देव की पूजा का विशेष दिन है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य का दोष है तो इस मंत्र के साथ पूजा जरुर मानी जाती है।

गोरखपुर। रविवार सूर्य देव की पूजा का विशेष दिन है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य का दोष है तो इस मंत्र के साथ पूजा जरुर मानी जाती है। आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार सूर्य देव बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते है। जिससे सूर्य की कृपा व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। साथ ही, नौकरी और भाग्य संबंधी परेशानियां भी सूर्य पूजा से दूर हो सकती हैं।

पं. मिश्र के ​मुताबिक भगवान श्री सूर्य को हिरण्यगर्भ भी कहा जाता है। हिरण्यगर्भ अर्थात् जिसके गर्भ में ही सुनहरे रंग की आभा है। भगवान श्री सूर्य देव आदि कहे जाते हैं। 

रविवार भगवान सूर्य का ही दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य उपासना करना बेहद पुण्यदायी माना जाता है। भगवान सूर्य की आराधना से कीर्ति, यश, सुख, समृद्धि, धन, आयु, आरोग्य, ऐश्वर्य, तेज, कांति, विद्या, सौभाग्य और वैभव की प्राप्ति होती है। भगवान सूर्य संकटों से रक्षा भी करते हैं। 

सूर्य देव की कृपा से जातक को शुक्ल पक्ष के रविवार को गुड़ और चांवल नदी में प्रवाहित करना चाहिए। जातक यदि तांबे के सिक्के नदी में प्रवाहित करे और रविवार के दिन अपने हाथ से मीठा व्यंजन बनाकर अपने परिवार और गरीब को खिलाए तो यह और भी उत्तम होता है। रविवार के दिन गुड़ का भोग लगाना भी फायदेमंद होता है। सूर्योदय के समय आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना भी बेहत उपयोगी होता है। रविवार के दिन तेल, नमक न खाने से भी लाभ मिलता है।


ऐसे करें सूर्य देव को प्रसन्न

रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान करें इसके बाद किसी मंदिर या घर में ही सूर्य को जल अर्पित करे इसके बाद पूजन में सूर्य देव के निमित्त लाल पुष्प, लाल चंदन, गुड़हल का फूल, चावल अर्पित करें। गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं और पवित्र मन से नीचें दिए हुए सूर्य मंत्र का जाप कर सकते हैं। यह मंत्र 'राष्ट्रवर्द्धन' सूक्त से लिए गए है। साथ ही अपने माथें में लाल चंदन से तिलक लगाए।


ऊं खखोल्काय शान्ताय करणत्रयहेतवे।

निवेदयामि चात्मानं नमस्ते ज्ञानरूपिणे।।

त्वमेव ब्रह्म परममापो ज्योती रसोमृत्तम्।

भूर्भुव: स्वस्त्वमोङ्कार: सर्वो रुद्र: सनातन:।।


आप चाहें तो इस दूसरे मंत्र का जाप कर सकते है।

प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यम् रूपं हि मण्डलमृचोथ तनुर्यजूंषि।

सामानि यस्य किरणा: प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम्।।


या फिर इस मंत्र का जाप करें-

'उदसौ सूर्यो अगादुदिदं मामकं वच:।

यथाहं शत्रुहोऽसान्यसपत्न: सपत्नहा।।

सपत्नक्षयणो वृषाभिराष्ट्रो विष सहि:।

यथाहभेषां वीराणां विराजानि जनस्य च।।'


माना जाता है कि इन मंत्रो का जाप करनें से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएगी और घर में सुख-शांति आएगी। साथ ही घर में शांति रहेगी जिससे घर में कभी धन की कमी नही होगी।

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