भगवान एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर लिया राजा का परीक्षा

एकादशी का व्रत कथा


आचार्य पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार एक राजा के राज्य में सभी प्रजा जन एकादशी का व्रत रखते थे। इस दिन सभी फलाहार पर रहते थे। इस व्रत के दिन कोई भी व्यापारी अन्न नही बेचता था। राजा की परीक्षा लेने की नियत से एक बार भगवान एक सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर राजमार्ग के किनारे बैठ गए। जब राजा उधर से गुजरे, तब उसने उस सुन्दरी को उदास भाव में राजमार्ग के किनारे बैठे देखा। राजा को पहली नजर में उस स्त्री का रूप भा गया।उन्होनें उस स्त्री के साथ विवाह करने की इच्छा प्रकट की।तब सुंदरी ने कहा-" मुझे तुम्हारा प्रस्ताव मंजूर है परन्तु राज्य का संपूर्ण अधिकार मुझे प्राप्त हो और जो भोजन में तुम्हारे लिए बनाकर लाऊंगी, उसे तुम्हे खाना होगा।एक बार एकादशी व्रत के दिन राजा फलाहार करने लगे। इस पर सन्दरी ने अपनो शर्त याद दिलाई। यह सुनकर राजा ने उसकी बात का मानना स्वीकार कर ली और रानी के कहे अनुसार अपने पुत्र का सिर काटने के लिए तैयार हो गया। उस समय रानी का रूप त्यागकर भगवान विष्णु प्रकट होकर बोले-"मुझसे कोई वर मांग लो।"- राजा ने कहा-" भगवन! आप का दिया हुआ सब कुछ तो मेरे पास है। मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस मेरा उद्धार कर दीजिए।"- इतना कहना था कि वह राजा को ले जाने के लिए देवलोक से एक विमान आ पहुंचा। तब राजा ने राज्य का पूरा भार अपने पुत्र को सौंपकर दिव्य विमान पर बैठकर देवलोक चला गया।

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