पुरुष नसबंदी पखवाड़ा : सर्जन की अनूठी पहल

पम्पलेट पर खुद का नंबर जारी कर समुदाय तक जरूरी संदेश पहुंचा रहे सर्जन  

सीएचसी के अधीक्षक भी हैं डॉ. नंद लाल कुशवाहा

दंपति संपर्क चरण में चल रहा है प्रचार वाहन

पिपराईच सीएचसी पर प्रत्येक कार्यदिवस पर पुरुष नसबंदी की सुविधा

गोरखपुर, 28 नवम्बर 2021। जिले के पिपराईच सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक और सर्जन डॉ. नंद लाल कुशवाहा ने पुरुष नसबंदी को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल की है । उन्होंने पम्पलेट के जरिये अपना सीयूजी नंबर सार्वजनिक कर पुरुष नसबंदी के लिए संपर्क करने की अपील की है । वह क्षेत्र में पुरुष नसबंदी संबंधित एक प्रचार वाहन भी चलवा रहे हैं और पखवाड़े के दम्पति सम्पर्क चरण के तहत लोगों को संदेश दिलवा रहे हैं कि पिपराईच सीएचसी पर प्रत्येक कार्यदिवस पर पुरुष नसबंदी होती है और यह पूरी तरह से सुरक्षित है।

डॉ. कुशवाहा महराजगंज जनपद की निचलौल चिकित्सा इकाई पर सर्जन के तौर पर नसबंदी की सेवा के जरिये लोगों के बीच काफी लोकप्रिय रहे हैं । वह महराजगंज में योगदान के लिए सम्मानित भी हो चुके हैं । गोरखपुर जनपद में तैनाती के दौरान भी वह नसबंदी की सेवा देते रहे हैं । पुरुष नसबंदी पखवाड़े को सफल बनाने में उनका यह प्रयास इन दिनों चर्चा में हैं । पम्पलेट के जरिये उन्होंने लोगों से अपील की है कि पुरुष नसबंदी संबंधित विशेष जानकारी के लिए उनके मोबाइल नंबर 8887574012 पर या नजदीकी आशा अथवा एएनएम से संपर्क कर सकते हैं।

डॉ. कुशवाहा का कहना है कि पुरुष नसबंदी में किसी भी प्रकार का चीरा या टांका नहीं लगता है । यह पांच मिनट में होती है और इसमें दर्द भी नहीं होता है । इसके बाद भी पुरुषों में यौन क्षमता पहले जैसी ही बनी रहती है । किसी प्रकार की कमजोरी नहीं होती है । इस नसबंदी को पुनः जोड़ा जा सकता है । लाभार्थी को 2000 रुपये और उसके गैर सरकारी प्रेरक को 300 रुपये दिये जाते हैं । उन्होंने बताया कि पिपराईच सीएचसी पर प्रत्येक कार्यदिवस पर यह सुविधा उपलब्ध है ।


नसबंदी करवाने वाला भी ला सकता है केस

डॉ. कुशवाहा का कहना है कि नसबंदी करवाने वाला लाभार्थी भी किसी अन्य लाभार्थी को प्रेरित कर नसबंदी के लिए ला सकता है। ऐसा करने वाले लाभार्थी को भी 300 रुपये देने का प्रावधान है । दम्पति सम्पर्क चरण के दौरान वह गांवों में बैठक करके भी नये लाभार्थियों को नसबंदी सेवा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं ।

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